इस साल गर्मी और सताएगी। ग्लोबल वार्मिंग और मौसम चक्र में बदलाव के चलते इस साल पारा सामान्य से 1.5 डिग्री अधिक रह सकता है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के पूर्वानुमान के मुताबिक, इस साल मई और जून में पारा 45 डिग्री तक जा सकता है।
वहीं, मार्च और अप्रैल में ही देश के अधिकांश हिस्सों खासतौर से उत्तर व मध्य भारत में तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक, अप्रैल में दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के ज्यादातर हिस्सों में तापमान 1 से 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहेगा।
फरवरी में ही महाराष्ट्र व दक्षिण राज्यों में गर्मी ने असर दिखाना शुरू कर दिया है यहां के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान 32 से 35 डिग्री के बीच दर्ज किया जा रहा है। अगले दो महीनों में इसमें और इजाफा होगा। इसी तरह, मार्च में महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और दक्षिण राज्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में तापमान 0.5 से 1 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने का अनुमान है।
मौसम विभाग के अधिकारी ने बताया, सभी पूर्वानुमान ग्रीनहाउस उत्सर्जन के साथ जुड़े ग्लोबल वार्मिंग की प्रवृति को दिखाते हैं। हालांकि अब तक तापमान को सामान्य से अधिक गर्म करने वाले कारक अल नीनो की कोई मौजूदगी नहीं दिखी है, लेकिन चूंकि पिछले साल जून तक अल नीनो सक्रिय था, लिहाजा इसका असर इस साल भी देखने को मिल सकता है। इसकी वजह से तापमान सामान्य से अधिक रहेगा।
साल 2064 तक गर्मी के बढ़ने के आसार
आईएमडी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल अल नीनो की स्थिति फरवरी से जून तक रही थीं। इस साल अल नीनो भारत में लू में इजाफा होने का जिम्मेदार बनेगा। इससे 2020 से 2064 तक गर्मी और लू में इजाफा होना जारी रहेगा। यह सब ग्लोबल वार्मिंग के कारण भी हो रहा है।
न्यूजीलैंड में पांच लाख मसल्स फिश मृत मिलीं
न्यूजीलैंड के तट पर पांच लाख से ज्यादा मसल्स फिश (सीप) मृत मिली हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते ही इतने बड़े पैमाने पर इन फिश की मौत हुई है। इन मृत मसल्स फिश को माउनगानुई ब्लफ बीच पर ऑकलैंड के रहने वाले ब्रेंडन फर्ग्युसन ने खोजा। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में ब्रेंडन घुटने तक पानी में खड़े होकर इन फिश को दिखा रहे हैं। ब्रेंडन ने तस्वीर के साथ लिखा, ये सभी मृत हैं… कुछ भी नहीं बचा।
वाईकातो यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विशेषज्ञ प्रोफेसर क्रिस बेटरशिल ने बताया, हाल ही में इस तरह की घटना हुई थी, जिसमें बड़े पैमाने पर टुआटुआ कॉकल्स और क्लाम्स मृत पाए गए थे। इसके पीछे मुख्य वजह धूप के कारण पानी का सामान्य से अधिक गर्म होना है। इस वजह से पानी में ऑक्सीजन की कमी के चलते मछलियां दम तोड़ देती हैं। इस तरह की परिस्थिति असामान्य हैं। मुझे लगता है कि यह ग्लोबल वार्मिंग का असर है।
सार
गर्मी इस साल कहर बरपाने वाली है। मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक भारत के अधिकांश हिस्सों में पारा 45 डिग्री से ज्यादा रह सकता है।
विस्तार
इस साल गर्मी और सताएगी। ग्लोबल वार्मिंग और मौसम चक्र में बदलाव के चलते इस साल पारा सामान्य से 1.5 डिग्री अधिक रह सकता है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के पूर्वानुमान के मुताबिक, इस साल मई और जून में पारा 45 डिग्री तक जा सकता है।
वहीं, मार्च और अप्रैल में ही देश के अधिकांश हिस्सों खासतौर से उत्तर व मध्य भारत में तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक, अप्रैल में दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के ज्यादातर हिस्सों में तापमान 1 से 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहेगा।
फरवरी में ही महाराष्ट्र व दक्षिण राज्यों में गर्मी ने असर दिखाना शुरू कर दिया है यहां के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान 32 से 35 डिग्री के बीच दर्ज किया जा रहा है। अगले दो महीनों में इसमें और इजाफा होगा। इसी तरह, मार्च में महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और दक्षिण राज्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में तापमान 0.5 से 1 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने का अनुमान है।
मौसम विभाग के अधिकारी ने बताया, सभी पूर्वानुमान ग्रीनहाउस उत्सर्जन के साथ जुड़े ग्लोबल वार्मिंग की प्रवृति को दिखाते हैं। हालांकि अब तक तापमान को सामान्य से अधिक गर्म करने वाले कारक अल नीनो की कोई मौजूदगी नहीं दिखी है, लेकिन चूंकि पिछले साल जून तक अल नीनो सक्रिय था, लिहाजा इसका असर इस साल भी देखने को मिल सकता है। इसकी वजह से तापमान सामान्य से अधिक रहेगा।
साल 2064 तक गर्मी के बढ़ने के आसार
आईएमडी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल अल नीनो की स्थिति फरवरी से जून तक रही थीं। इस साल अल नीनो भारत में लू में इजाफा होने का जिम्मेदार बनेगा। इससे 2020 से 2064 तक गर्मी और लू में इजाफा होना जारी रहेगा। यह सब ग्लोबल वार्मिंग के कारण भी हो रहा है।
न्यूजीलैंड में पांच लाख मसल्स फिश मृत मिलीं
न्यूजीलैंड के तट पर पांच लाख से ज्यादा मसल्स फिश (सीप) मृत मिली हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते ही इतने बड़े पैमाने पर इन फिश की मौत हुई है। इन मृत मसल्स फिश को माउनगानुई ब्लफ बीच पर ऑकलैंड के रहने वाले ब्रेंडन फर्ग्युसन ने खोजा। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में ब्रेंडन घुटने तक पानी में खड़े होकर इन फिश को दिखा रहे हैं। ब्रेंडन ने तस्वीर के साथ लिखा, ये सभी मृत हैं… कुछ भी नहीं बचा।
वाईकातो यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विशेषज्ञ प्रोफेसर क्रिस बेटरशिल ने बताया, हाल ही में इस तरह की घटना हुई थी, जिसमें बड़े पैमाने पर टुआटुआ कॉकल्स और क्लाम्स मृत पाए गए थे। इसके पीछे मुख्य वजह धूप के कारण पानी का सामान्य से अधिक गर्म होना है। इस वजह से पानी में ऑक्सीजन की कमी के चलते मछलियां दम तोड़ देती हैं। इस तरह की परिस्थिति असामान्य हैं। मुझे लगता है कि यह ग्लोबल वार्मिंग का असर है।
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