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Supreme Court agrees to hear next week, applications of telecom companies Vodafone Idea, Tata Teleservices and Bharti Airtel seeking modification of its earlier order to permit them to negotiate payment schedule with the Department of Telecommunications (DoT).
— ANI (@ANI) January 21, 2020
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने एएम सिंघवी और सीए सुंदरम समेत वरिष्ठ अधिवक्ताओं की ओर से पेश दलीलें सुनीं और कहा कि वह नई याचिकाओं को आगामी सप्ताह किसी समय उसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करेगी, जिसने इस मामले में पुरानी याचिकाओं पर सुनवाई की है।
साथ ही सुंदरम ने न्यायालय को बताया कि, ‘हम अपनी ओर से किए जाने वाले भुगतान को लेकर विवाद नहीं खड़ा कर रहे हैं बल्कि हम भुगतान के लिए नए कार्यक्रम पर काम करना चाहते हैं।’
पीठ में न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी हैं। दूरसंचार कंपनियों चाहती हैं कि उनकी याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई हो।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्तूबर 2019 को अपने फैसले में कहा था कि दूरसंचार कंपनियों के एजीआर में उनके दूरसंचार सेवाओं से इतर राजस्व को शामिल किया जाना कानून के अनुसार ही है। 22 नवंबर को एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इसमें फैसले पर पुनर्विचार करने और ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज को माफ करने की अपील की गई थी।
दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पिछले साल नवंबर में संसद को बताया था कि दूरसंचार कंपनियों पर सरकार का 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया है। साथ ही उन्होंने कहा था कि इस बकाये पर जुर्माने-ब्याज पर राहत का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा था कि दूरसंचार कंपनियों पर लाइसेंस शुल्क का 92,642 करोड़ रुपये और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क 55,054 करोड़ रुपये बकाया है।
इन कंपनियों पर इतना बकाया
वोडाफोन-आइडिया 19,823.71
रिलायंस कम्युनिकेशंस 16,456.47
बीएसएनएल 2,098.72
एमटीएनएल 2,537.48
(नोट : राशि करोड़ रुपये में, इसमें जुर्माना और ब्याज शामिल नहीं है।)
क्या है एजीआर ?
दूरसंचार कंपनियों को एजीआर का तीन फीसदी स्पेक्ट्रम फीस और आठ फीसदी लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है। कंपनियां एजीआर की गणना दूरसंचार ट्रिब्यूनल के 2015 के फैसले के आधार पर करती थीं। ट्रिब्यूनल ने उस वक्त कहा था कि किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ, डिविडेंड और ब्याज जैसे गैर प्रमुख स्रोतों से हासिल राजस्व को छोड़कर बाकी प्राप्तियां एजीआर में शामिल होंगी। जबकि दूरसंचार विभाग किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ और कबाड़ की बिक्री से प्राप्त रकम को भी एजीआर में मानता है। इसी आधार पर वह कंपनियों से बकाया शुल्क की मांग कर रहा है।
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