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ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग

‘जय गंगा मैया’ की ध्वनि के साथ हम लोग राफ्ट लेकर चल पड़े | राफ्टिंग में सर्वाधिक आनंद पर्वतों के बीच से बहती तेज नदी के बीच एक छोटे से राफ्ट से बड़े बड़े हरे-हरे पर्वतों को देख कर होता है | ऐसा लगता है मानो मनुष्य न जाने क्यों गर्व करता है प्रकृति के सामने उसकी कोई सत्ता नहीं है | बड़े बड़े खड़े पर्वत किसी साधना में लीन साधु की तरह लग रहे थे | उनके ऊपर उगे पेड़ झाड़ियाँ उनके बढ़ी हुई दाढ़ी की तरह और चोटियाँ सर के चोटी की तरह प्रतीत हो रही थी | यही शांत, सुखमय वातावरण मानसिक और आतंरिक रूप से संतुष्टि प्रदान करता है | अक्सर चारों ओर देखने में, मैं एक दो पल के लिए भूल भी जाता था; की राफ्टिंग कर रहा हूँ | होश तब आता जब हमारे कमांडर आगे आने वाले रैपिड के लिए आगाह करते | शिवपुरी से राम झुला तक लगभग 16km की राफ्टिंग में कुल नौ रैपिड आते हैं जिन्हें एक से लेकर 5 डिग्री तक चिन्हित किया गया है | आगे आने वाले रैपिड का नाम रोलर कोस्टर था जो 5 डिग्री का था इसमे राफ्ट बाहर से घूमकर अन्दर की ओर तेजी से आती है | हम सभी लोग तेज से चिल्लाये | उत्साह दिखाने के लिए सबके अपने अपने चिल्लाने के तरीके होते हैं | वैसे कमांडर ने रैपिड के बीच में शोर से मना किया था ताकि उसके द्वारा दिए गये कमांड को हम लोग सुन सके |


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