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राही

अपना समझा असल में पराये है

मेरे आँखोंके सपने अब पराये है


तेरे इश्क़ से हमे बेहद रश्क है

तेरे गली के रास्ते अब पराये है


तमीज़ मेरे प्यार का अंदाज़ है

दुनिया के तरिके हमे पराये है


हमसफर थोड़े अजनबी ज्यादा है

तेरा जहाँ और मेरा आलम पराये है


हम हिस्सा थे अतीत का याद रहे

वक्त की बात है राही भी पराये है


तेरी यादें तेरी बाते अब भी जवा है

सिर्फ वो कुर्बत लम्हे अब पराये है


शहर में हर कोई अजनबीसा है

लुटे लुटाये हम खुदसे पराये है


लब्ज ढूंढ रहा बदनसीब 'अकाब' है

उफुक़ के लिए सारे समन्दर पराये है




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राही

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