Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

Hamnashini



रुक जाता था हर बार,
एक मुलाकात के लिये
और वो मुडके देखे नही कभी !

थम जाता था हर बार,
उनका चेहरा देखने
और वो पर्दा उठाये नही कभी !

इरादा था मैं डुब जाऊ,
चाह-ए-जकन में तेरी
देख हमेवो मुस्कुराए नही कभी !

तरस रहा मुद्दत से,
कुछ तो कहिये हमसे
और वो लब खोले नही कभी  !

चाहता था छू लू उन्हें,
बजे दिलमे अबरेशम
कमबख्त मौका मिला नही कभी !

हो अगर पत्थर दिल तुम,
तो संग तराश हम भी है
और जिद हम छोड़े नही कभी !

जिसम की बात न थी,
मैं ढूंढ हमनशिनी रहा
और दुआ कबुल हुई नही कभी !




 


This post first appeared on The Top Post !, please read the originial post: here

Subscribe to The Top Post !

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×