भील यह राजस्थान की सबसे प्राचीन जनजाती हैं। भील शब्द की उत्पति “बिलू” शब्द से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘कमान’। यह जनजाति तीर कमान चलाने में काफी निपुण होती हैं। मुख्यतः यह जनजाति उदयपुर के साथ-साथ बांसवाड़ा, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ में रहती है।। ये मेवाड़ी, भील तथा वागड़ी भाषा का प्रयोग करते हैं। भीलों की जीवनशैली बहुत ही अलग ढंग की होती हैं, यह उबड़-खाबड़ पहाड़ी क्षेत्र तथा वन में रहते हैं। इनके मकानों को टापरा, कू, फलां और पाल भी कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भील जनजाति की उत्पत्ति भगवान शिव के पुत्र निषाद द्वारा मानी जाती है। कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव जब ध्यान मुद्रा में बैठे हुए थे, तब निषाद ने अपने पिता के प्रिय बैल नंदी को मार दिया था तब दंडस्वरूप भगवान शिव ने […]
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