इंडिगो (IndiGo) की दो घरेलू उड़ानें हवा में बाल-बाल टकराने से बच गईं, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया. इस बीच विमानन उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इंडिगो के दो विमानों ने नौ जनवरी की सुबह उड़ान भरने के ठीक बाद बेंगलुरू हवाईअड्डे (Bengaluru Airport) पर हवा में टक्कर होने से बचा लिया गया. घटना को किसी लॉगबुक में दर्ज नहीं किया गया था और न ही भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने इसकी सूचना दी थी.
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डीजीसीए प्रमुख अरुण कुमार ने कहा कि नियामक घटना की जांच कर रहा है और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा. इंडिगो और एएआई ने इस मामले पर कोई जवाब नहीं दिया है. DGCA के अधिकारियों ने कहा कि इंडिगो के दो विमान – 6E455 (बेंगलुरु से कोलकाता) और 6E246 (बेंगलुरु से भुवनेश्वर) – बेंगलुरु एयरपोर्ट पर ‘ब्रीच ऑफ सेपरेशन’ (breach of separation) में शामिल थे.’
एक रनवे को कर दिया गया था बंद
ब्रीच ऑफ सेपरेशन तब होता है जब दो विमान एक हवाई क्षेत्र में न्यूनतम अनिवार्य वर्टिकल या हॉरिजोंटल दूरी को पार करते हैं. अधिकारियों ने बताया कि ये दोनों विमान नौ जनवरी की सुबह करीब पांच मिनट के अंतराल में बेंगलुरू एयरपोर्ट से रवाना हुए. डिपार्चर के बाद दोनों विमान एक-दूसरे की ओर बढ़ रहे थे. अप्रोच रडार कंट्रोलर ने डायवर्ट किया और हवा में टकराने से बचा लिया.
बेंगलुरु एयरपोर्ट दो रनवे संचालित करता है, जिसमें उत्तर और दक्षिण शामिल है. डीजीसीए की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि रनवे संचालन के एक शिफ्ट प्रभारी ने लैंडिंग और टेक-ऑफ दोनों के लिए सिंगल रनवे का उपयोग करने का निर्णय लिया. इस दौरान साउथ रनवे को बंद कर दिया गया था, लेकिन साउथ टावर नियंत्रक को इसकी सूचना नहीं दी गई थी. साउथ टावर कंट्रोलर ने बेंगलुरु जाने वाली फ्लाइट को उड़ान भरने की इजाजत दे दी. वहीं नॉर्थ टावर कंट्रोलर ने भी भुवनेश्वर जाने वाली फ्लाइट को रवाना होने की इजाजत दे दी.
दोनों फ्लाइट में 426 यात्री थे सवार
डीजीसीए की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि साउथ और नॉर्थ टावर कंट्रोलरों ने बिना समन्वय के मंजूरी दी. रिपोर्ट ने एक रनवे के बंद होने के बाद हवाई यातायात नियंत्रकों के बीच आपसी तालमेल की लापरवाही की ओर से इशारा किया है. डीजीसीए के सूत्रों ने कहा है कि दोनों विमानों को एक ही दिशा में एक साथ उड़ान भरने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी. बेंगलुरु-कोलकाता की फ्लाइट में 176 यात्री और छह चालक दल के सदस्य थे, जबकि बेंगलुरु-भुवनेश्वर की फ्लाइट में 238 यात्री और छह चालक दल थे यानि कुल 426 यात्री मौजूद थे.
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