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Alankar in Hindi | अलंकार किसे कहते हैं? अलंकार के भेद, प्रकार और उदाहरण

हम अलंकार, अलंकार किसे कहते हैं? अलंकार के भेद, प्रकार और उदाहरण (Alankar in Hindi)को उदहारण सहित जानेंगे। अलंकार हिन्दी व्याकरण में महत्वपूर्ण है।

परिभाषा :- अलंकार का शाब्दिक अर्थ है :- आभूषण
जिस प्रकार स्वर्ण के आभूषण पहनने से शरीर की सुंदरता बढ़ती है उसी प्रकार काव्य में अलंकारों से काव्य की शोभा बढ़ती है

Alankar in Hindi

अलंकार के भेद / प्रकार (Alankar in Hindi) :- अलंकार के निम्नलिखित तीन भेद या प्रकार होते हैं

  • शब्दालंकार
  • अर्थालंकार
  • उभयलंकार

शब्दालंकार :- जहां पर शब्दों के आधार पर चमत्कार उत्पन्न होता है वहां पर शब्दालंकार होता है
शब्दालंकार निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं
अनुप्रास अलंकार
यमक अलंकार
श्लेष अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकार
अतिशयोक्ति अलंकार
रूपक अलंकार

A. अनुप्रास अलंकार :- यहां पर एक ही वर्ण की आवृत्ति बार-बार हो वहां अनुप्रास अलंकार होता है
उदाहरण :- चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में
मुदित महीपति ही मंदिर आये

अनुप्रास अलंकार के भेद / प्रकार :- अनुप्रास अलंकार के निम्नलिखित पांच भेद या प्रकार होते हैं

  1. अंत्यानुप्रास अलंकार
  2. लाटानुप्रास अलंकार
  3. छेकानुप्रास अलंकार
  4. वृत्यानुप्रास अलंकार
  5. श्रुत्यानुप्रास अलंकार

अन्त्यानुप्रास अलंकार :- जहां पर पद के अंत में एक ही वर्ण और स्वर की आवृत्ति हो वहां पर अन्त्यानुप्रास अलंकार होता है

उदाहरण :- जय हनुमान ज्ञान गुण सागर |
जय कपीश तीन्हु लोक उजागर ||

रघुपति राघव राजा राम |
पतित पावन सीताराम ||

लाटानुप्रास अलंकार :- जहां पर पद में समानार्थी शब्दों की आवृत्ति हो परंतु उसमें कुछ अंतर हो तो वहां लाटानुप्रास अलंकार होता है

उदाहरण :- पूत कपूत तो क्यों धन संचय |
पूत सपूत तो क्यों धन संचय ||

c. छेकानुप्रास अलंकार:-
d. वृत्यानुप्रास अलंकार :-
e. श्रुत्यानुप्रास अलंकार :-

B. यमक अलंकार :- जहां पर एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ प्रत्येक बार अलग-अलग हो तो वह यमक अलंकार होता है

उदाहरण :- काली घटा (बादल) सा घमंड घटा (कम होना) |
तीन बेर (समय) खाती थी और तीन बेर (फल) खाती है |
सजना (तैयार होना) है मुझे सजना (पति) के लिए |

C. श्लेष अलंकार :- जहां पर एक शब्द के कई अर्थ हो वहां पर श्लेष अलंकार होता है

उदाहरण :- रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून |
पानी गए न ऊबरै,मोती मानस चून ||

D. उत्प्रेक्षा अलंकार :- जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना व्यक्त की जाए या वर्णन हो वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है
पहचान :- मनु, मनहु, जनु, जानहु आदि

उदाहरण :- मानव मुख चंद्र है 41

E. अतिशयोक्ति अलंकार :- जहां पर किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए वहां पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है

उदाहरण :- आगे नदिया पड़ी अपार घोड़ा कैसे उतरे पार |
राणा ने सोचा इस पार तब तक चेतक था उस पार ||

हनुमान की पूंछ में लग न पाई आग |
और लंका सारी जल गई और गए निशाचर भाग ||

F. रूपक अलंकार :- जहां उपमेय में उपमान का भेद रहित या निषेध रहित आरोप हो वहाँ रूपक अलंकार होता है

उदाहरण :- चरण कमल बंदों हरि राई

मैया ! मैं तो चंद्र खिलौना लैहों

बीती विभावरी जागरी
अंबर पनघट में हो हुनो रही
तारा घट उषा नागरी

2. अर्थालंकार :- जहां पर अर्थ के आधार पर चमत्कार प्रकट हो वहां अर्थालंकार होता है

उपमा अलंकार :- उप ( समीप )+ मा ( तोलना )
अत: जब दो वस्तुओं में समान धर्म के कारण समानता दिखाई जाती है तब वहां उपमा अलंकार होता है
पहचान :- सा, सी, सनु, सरिस आदि

उपमेय :- जिसकी उपमा की जाए वह उपमेय कहलाता है
उपमान :- जिससे उपमा की जाए वह उपमान कहलाता है

उदाहरण :- कर कमल सा कोमल है |
(उपमेय) (उपमान) (वाचक)
पीपर पतित सरिस मन डोला
नील गगन साथ शांत ह्रदय हो रहा था

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