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जाति-पाति पूछे न कोई, हरि को भजै सो हरि का होई – मध्यकालीन भक्ति आंदोलन के प्रणेता थे स्वामी रामानन्दाचार्य!

कोई संत महात्मा नामदीक्षा देने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे और कबीर थे कि वाराणसी में गुरु को तलाश रहे थे। उन्हें साथी भक्तों ने सलाह दी स्वामी रामानंद ही एक उम्मीद हैं। उनसे दीक्षा मिल सकती है। लेकिन स्वामी रामानंद एकांतवास में चले गए थे। वे आठों पहर काशी में पंचगंगा घाट पर बनी एक गुफा में साधना में लीन रहते थे। सुबह अंधेरे में सिर्फ गंगा स्नान के लिए निकलते। इसके अलावा कभी अपनी गुफा से बाहर नहीं जाते। दीक्षा लेने के लिए उनके गंगा स्नान के समय कबीर के सीढियों पर लेट जाने और गुरु

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