राजस्थान के विश्वविख्यात मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के बाहर रेलिंग पर ताले क्यों लगाए जाते हैं?-भक्तों जब आप मेहंदीपुर जाते हैं तो आप में से बहुत से भक्तों ने देखा होगा कि वहां मंदिर की रेलिंग में अनेक ताले लटके होते हैं।
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वहां ये ताले छोटे से बड़े लगभग हर साइज में असंख्य रूप से लटके होते हैं।क्या आप इन तालों के लटके होने का कारण जानते हैं? नहीं ना? आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि ऐसा क्यों होता है।
मंदिर के बाहर लगी रेलिंग पर लटके तालों का रहस्य ये है कि वहां ऊपरी बाधा से पीड़ित व्यक्ति अपनी संकट संबंधी समस्याओं के छुटकारे के लिए ताले को यहां लगाते हैं।
आपको बता दें कि तालों को यहां लगाने का मुख्य कारण सिर्फ अपने संकटों को बांधने का होता है। इसका यह तात्पर्य नहीं लगाना चाहिए कि पीड़ित ताला लगा कर संकट मुक्त हो जाता है।
संकट को तालों में बांधने से फौरी तौर पर लाभ होता है ऐसा माना जाता है।
तालों में संकट कैसे बांधे जाते हैं?
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के महंत जी या पुजारी जी जिन पर बालाजी महाराज की शक्ति आती है पीड़ित व्यक्ति जाकर सम्पर्क करते हैं और तालों के माध्यम से अपने संकटों का बंधन करवाते हैं।
जो व्यक्ति अलग शहरों से आते हैं और जिस गद्दी से जुड़े होते हैं वो अपने महंत जी जिन पर बालाजी महाराज के दूत महाराज आते हैं या शक्ति आती है वो उन तालों का बंधन करवा कर संकट बंधवा देते हैं।इस प्रकार से तालों के द्वारा संकट को बाँधा जाता है। लेकिन यह व्यवस्था सिर्फ गुरु के मार्गदर्शन में ही की जाती है अपनी इच्छा से नहीं।
गुरु या महंत जिन पर बालाजी महाराज की कृपा होती है, उनके सानिध्य में ही विधि विधान से ताला लगाया जाता है और लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
इस बात को इस तरह से समझ लीजिए कि जब एक मरीज़ डॉक्टर के पास जाता है तो बीमारी का उपचार विभिन्न प्रकार की दवाईयों के द्वारा और परहेज के द्वारा किया जाता है और आपको क्या दवा खानी है और क्या परहेज करना है यह सिर्फ आपको आपका चिकित्सक ही बताता है। आप अपनी मर्जी से कोई भी दवा उठाकर नहीं खा सकते।
यह विडंबना है कि कुछ लोग पूरी जानकारी न होने के कारण देखा देखी स्वयं से ताले खरीदकर मंदिर के बाहर की रेलिंग पर ताले लगा आते हैं। जो कि गलत है।
अन्य मंदिरों की परंपराओं की तरह कुछ भक्त यह समझ कर ताला लगा आते हैं कि यहां ताला लगाने से उनकी मनोकामना पूरी होती है, जबकि ताला लगाने का सही कारण कुछ और होता है जो कि हम आपको समझा चुके हैं।
ऐसे भक्तों को चाहिए कि मनोकामना हेतु आप बालाजी महाराज को अर्जी लगाए। मनोकामना पूरी होने के बाद स्वेच्छा से सवामनी आदि करवाये। अर्जी कैसे लगायी जाती है यह जानने के लिए हमारी यह पोस्ट पढ़ें –
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बालाजी मंदिर के बाहर रेलिंग पर ताले क्यों लगाए जाते हैं?
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