New Delhi:हर साल की तरह इस साल भी उत्तरी बिहार बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हो चुका है। दिशाहीन हो चुकी राज्य सरकार के पास इस संकट से उबरने की न तो कोई ठोस योजना है और न ही कोई व्यवस्था । राज्य की जनता को सरकार ने भगवान् भरोसे छोड़ कर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री मान ली है । ऐसे में सरकार की तरफ मदद की आस लगाये लोग पूरी तरह निराश हो चुके हैं। पहले कोरोना और अब बाढ़ ने लोगों के जन -जीवन को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया है।
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Flood situation worsens further in northern parts of #Bihar.https://t.co/vR64yiHLpf
— All India Radio News (@airnewsalerts) August 2, 2020
बगहा के मधुबनी प्रखंड के बाढ़ विस्थापितों का जीवन भी इस कदर प्रभावित हो चुका है कि वे किसी तरह से भोजन की व्यवस्था कर पा रहे हैं।सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई राहत नहीं मिलने के कारण नाराज सिसई के ग्रामीणों ने सोहगी बरवा में विरोध प्रदर्शन किया एवं अंचलाधिकारी समेत प्रशासनिक पदाधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। ग्रामीण योगेंद्र यादव ,नगीना साहनी, गोपाल कुर्मी, वीरेंद्र यादव ,रूपचंद गौड़, जितेंद्र साह ,बउक गोंड़ ,सीताराम गोंड़, नागा यादव, शंकर पटेल, छोटेलाल साहनी, नवल साहनी ,शंकर साहनी आदि ने कहा कि सिसई के सभी गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया था। पांच दिन तक घरों में जलजमाव की स्थिति रही, लेकिन उनका हाल जानने प्रशासन की तरफ से कोई नहीं पहुंचा। हद तो यह कि लोगों के बीच अबतक राहत सामग्री का भी वितरण नहीं किया गया।बाढ़ पीड़ितों ने चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह में खाते में बाढ़ राहत राशि नहीं आती है तो बाढ़ पीड़ित अंचल कार्यालय का घेराव करेंगे एवं आमरण अनशन पर बैठ जायेंगे। गौरतलब है कि सीओ ने गैर जिम्मेदाराना बयान दिया था कि मधुबनी प्रखंड में कहीं भी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न नहीं हुयी। जबकि सीओ ने राजस्व कर्मियों को भेज कर चिउरहीं और सिसई में बाढ़ की स्थिति की जानकारी भी ली थी। सिसई के पंचायत समिति सदस्य जयप्रकाश यादव, मुखिया बालमुकुंद गद्दी सहित सभी वार्ड सदस्यों ने सीओ पर कार्रवाई की मांग की है।
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