New Delhi : इंसानियत बहुत बड़ी चीज है। इंसानियत से बड़ा कोई और धर्म नहीं है। इंसानियत का धर्म निभाने में सरदार भी पीछे नहीं रहते। सरदारों ने ना जाने कितने ऐसे काम किए हैं जिनसे उनकी पगड़ी का मान बढ़ा है।
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पगड़ी सिखों के सिर का ताज है और पंजाबियों की शान है। इस शान को उस समय और चार चांद लग गए, जब पंजाब के एक सिख हरमनप्रीत सिंह ने न्यूजीलैंड में एक म’रते हुए हुए बच्चे की जान बचाने के लिए इसका प्रयोग किया और पूरी दुनिया में हीरो बन गया। उसके इस काम के लिए न्यूजीलैंड पुलिस ने अब उसे अवार्ड देकर सम्मानित किया था। यह पल न सिर्फ हरमनप्रीत सिंह के लिए बल्कि हर पंजाबी के लिए गर्व का पल था। बात कुछ समय पुरानी है। न्यूजीलैंड में हा’दसे के शि’कार हुए 5 वर्षीय बच्चे की जान बचाने के लिए हरमनप्रीत सिंह ने पगड़ी उतार कर उसके ज़’ख़्मों पर बांध दी।
इसके बाद तुरंत बच्चे को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डाक्टरों ने कहा कि हरमनप्रीत की सोच-समझ ने ही बच्चे की जान बचार्इ। हरमनप्रीत के इस काम के बाद न सिर्फ़ न्यूजीलैंड बल्कि दुनिया के हर कोने में उसकी तारीफ़ की गई। हर किसी ने एक भलाई के काम के लिए पगड़ी उतारने पर हरमन के जज्बे को सलाम किया और आज न्यूजीलैंड की पुलिस ने भी हरमनप्रीत को सलाम करके उसका मान बढ़ा दिया।
सिक्खो के लिए पगड़ी का महत्व : सिक्खों के लिए पगड़ी का एक अलग ही महत्व है । सिख यदि बिना पगड़ी के किसी के सामने आ जाए तो सामने वाले व्यक्ति को यह पहचानना बड़ा मुश्किल होगा की वह सिख है या नही । कहने का मतलब सिर्फ इतना है की सिखों के लिए उनकी पहचान उनकी पगड़ी ही है । सिख अपने धर्म पर गर्व करते हुए अपनी पगड़ी धारण करते हैं और सम्मान महसूस करते है । पगड़ी उनके विशिष्ट पहचान का एक अटूट अंग है । सभी समुदाओ में यह बचपन से सीखना शुरू कर देते हैं । हर एक व्यक्ति अपनी पगड़ी स्वयं बांधता है और इसमें शान महसूस करते है । पगड़ी महज़ एक कपड़े का एक टुकड़ा नहीं है यह सिखों के लिए एक अभिमान है । सिख पूरे विश्व में कही पर भी रहते हो पर उनकी पगड़ी से ही उन्हें पूरे विश्व में जाना जाता है । सिख दुनिया में किसी भी पद पर हो वे अपनी पगड़ी हनेशा धारण करके रखते है फिर वो चाहे सेना हो , राजनीती हो ,या शिक्षा जगत । यह उनके लिए किसी ताज से कम नही हैं ।
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