New Delhi: मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने टिकट दावेदारी को लेकर लगाई गई एक शर्त को वापस ले ली है। दरअसल कांग्रेस कमेटी की इस शर्त में कहा गया था कि टिकट उसी उम्मीदवार को मिलेगा जो फेसबुक और ट्विटर पर सक्रिय होगा।
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मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है कि इस बार चुनाव में सोशल मीडिया के आधार पर टिकट दिए जाएंगे। दरअसल कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस ने घोषणा की थी कि मध्य प्रदेश में होने वाला विधानसभा चुनाव जमीन की बजाए सोशल मीडिया पर लड़ा जाएगा। कांग्रेस ने साफ कर दिया था कि चुनाव में टिकट उसी को दिया जाएगा, जिसकी सोशल मीडिया पर पकड़ मजबूत होगी।
कांग्रेस ने अपने नेताओं से कहा था कि ट्विटर और फेसबुक पर सभी का अकाउंट होना अनिवार्य है लेकिन अब इससे मना कर दिया गया है। इससे पहले टिकट पाने के लिए ये जरूरी था कि चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवार के फेसबुक पेज पर कम से कम 15 हजार लाइक्स होने चाहिए, ट्विटर पर उसके कम से कम 5 हजार फॉलोअर्स होने चाहिए और बूथ लेवल वर्कस के लिए व्हाट्सऐप ग्रुप होना चाहिए। कांग्रेस ने अपने नेताओं से 15 सितंबर 2018 तक अपने सोशल मीडिया हैंडल की डिटेल्स जमा कराने को कहा था।
यूपी चुनाव के दौरान बीजेपी ने भी टिकट वितरण के लिए सोशल मीडिया पर नेताओं की लोकप्रियता को अपना आधार बनाया था। बीजेपी ने अपने नेताओं से फेसबुक पर 25000 लाइक्स की मांग की थी। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर पूरा जोर दे रही थीं। दोनों ही पार्टियां सोशल मीडिया के जरिए ज्यादा से ज्यादा वोटर्स को लुभाना चाहती थीं लेकिन अब कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया है।
वैसे पिछले कुछ सालों में लोगों तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल किया गया है। सिर्फ भारत ही नहीं श्रीलंका में भी सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल किया गया। वहां फेसबुक खबर और सूचनाएं पाने का पहला प्लेटफॉर्म बन गया है। स्थानीय मीडिया को फेसबुक रिप्लेस कर चुका है, इसलिए कोई इन्हें जांचता भी नहीं है। श्रीलंका में फरवरी में हुई हिंसा के पीछे फेसबुक की बहुत बड़ी भूमिका रही है।
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