New Delhi: कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की 16, 100 रानियां और 8 पटरानियां थीं। इन सबसे अलग राधा, श्रीकृष्ण की प्रेयसी थीं। कान्हा चाहकर भी राधा से विवाह नहीं कर पाए।
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भगवान श्रीकृष्ण के व्यक्तिगत जीवन को देखने पर पता चलता है कि उन्होंने हमेशा ही महिलाओं की इच्छा का सम्मान किया है। देवी रुक्मिणी और मित्रविंदा से इनका विवाह इस बात का बड़ा उदाहरण है। इनकी इच्छा का सम्मान करते हुए कान्हा ने स्वयंवर से इनका हरण किया था। आइए, जन्माष्टमी के अवसर पर जानते है श्रीकृष्ण और उनके विवाह की कहानियां
पहली पत्नी थीं रुक्मणी
भगवान कृष्ण की पहली पत्नी थीं रुक्मणी, जो मां लक्ष्मी का अवतार थीं। रुक्मिणीजी, विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। रुक्मणीजी भगवान कृष्ण से विवाह करना चाहती थीं लेकिन उनका भाई रुक्मी इस विवाह के खिलाफ था। इसलिए उन्हें भागकर शादी करनी पड़ी। दोनों के दस पुत्र हुए।
दुसरी पत्नी थीं जामवंती
भगवान कृष्ण का दूसरा विवाह जामवंती से हुआ। जामवंती, जामवंत जी की पुत्री थीं। भगवान कृष्ण पर मणि चुराने का आरोप लगा था, इस आरोप को झूठा साबित करने के लिए उन्होंने खुद ही मणि की तलाश शुरू की तो पता चला कि यह पूर्व जन्म के भक्त जामवंत के पास है। जामवंत जी कान्हा को पहचान नहीं पाए इसलिए श्रीकृष्ण से युद्ध किया। फिर जामवंत जी को श्रीकृष्ण में भगवान राम दिखाई दिए इसलिए उन्होंने मणि उन्हें दे दी और अपनी बेटी जामवंती संग उनका विवाह करा दिया।
तीसरी पत्नी थीं सत्यभामा
भगवान कृष्ण की तीसरी पत्नी सत्यभामा थीं। सत्यभामा सत्राजित की पुत्री थीं। जिस मणि को चोरी करने का आरोप कृष्णजी पर लगा था, वह भी इन्हीं की थी। कृष्णजी ने उनकी मणि वापस कर दी, जिससे सत्राजित लज्जित हो गया और आरोप के लिए माफी भी मांगी। उन्होंने ग्लानी मिटाने के लिए सत्यभामा का विवाह कृष्णजी से करवा दिया और मणि भी दे दी।
चौथी पत्नी थीं कालिन्दी
भगवान कृष्ण की चौथी पत्नी कालिंदी थीं, जो की सूर्यदेव की पुत्री थीं। इन्होंने श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने की कामना से तप किया और भगवान ने उनकी मनोकामना पूरी करते हुए उनसे विवाह कर लिया। कालिंदी खांडव नामक जंगल में रहती थीं। यहीं पर पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ बना था।
पांचवी पत्नी थीं नग्नजिति
भगवान कृष्ण की पांचवी पत्नी सत्या थीं। इनका नाम नग्नजिति भी था। नग्नजिति, राजा नग्नजित की पुत्री थीं। राजा ने अपनी बेटी की इच्छा के लिए ऐसा स्वयंवर रखा, जो केवल कृष्णजी जीत सकते थे। स्वयंवर की शर्त थी कि जो भी सात पागल सांडो को एक ही अखाड़े में नाथेगा, वही सत्या का पति होगा। कृष्णजी ने शर्त पूरी कर स्वयंवर जीता और सत्या से विवाह किया।
छठवीं पत्नी थीं मित्रविंदा
भगवान कृष्ण की छठवीं पत्नी मित्रविंदा थीं। मित्रविंदा उज्जैन के राजा (द्वापर युग का अवंती राज्य) विंद और अनुविंद की बहन थीं। ये दोनों दुर्योधन के अनुयायी थी। मित्रविंदा के विवाह के लिए जो स्वयंबर आयोजित किया गया, उसमें वह श्रीकृष्ण को अपना पति चुनना चाहती थीं लेकिन विंद और अनुविंद ने अपनी बहन को ऐसा नहीं करने दिया। तब श्रीकृष्ण बल पूर्वक मित्रविंदा को स्वयंवर से उठा ले गए थे।
सातवीं पत्नी थीं रोहिणी
भगवान कृष्ण की सातवीं पत्नी रोहिणी थीं। पौराणिक दस्तावेजों में इनका कई बार नाम भद्रा और कैकयी भी पाया गया है। रोहिणी ऋतुसुकृत की पुत्री थीं। रोहिणी ने स्वयं ही स्वयंवर के दौरान श्रीकृष्ण को अपना पति चुना था।
आठवीं पत्नी थीं लक्ष्मणा
भगवान कृष्ण की आठवीं पत्नी लक्ष्मणा थीं। वह कैकेय देश की राजकुमारी थीं। इन्होंने स्वयं अपने स्वयंवर के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के गले में वरमाला पहनाकर उन्हें अपना पति चुना था।
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