New Delhi: भीमा कोरेगांव मामले में देश के अलग-अलग शहरों से गिरफ्तार किए गए 5 सामाजिक कार्यकर्ताओं में से एक प्रोफेसर सुधा भारद्वाज ने पुणे पुलिस पर पलटवार किया है और अपनी सफाई पेश की है।
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भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार की गई और अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद घर में नजरबंद प्रोफेसर सुधा भारद्वाज ने पुणे पुलिस पर तीखा पलटवार किया है और कई गंभीर आरोप लगाए हैं। सुधा भारद्वाज ने पुणे पुलिस पर पलटवार करते हुए कहा कि जो आरोप पुलिस ने मुझ पर लगाए हैं वो पूरा तरह मनगढंत और फर्जी है। जिस चिट्ठी का हवाला पुणे पुलिस दे रही है वह भी फर्जी हैं इस चिट्ठी के सहारे मुझे और बाकी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को झठे केस में फंसाने की कोशिश की जा रही है।
सुधा भारद्वाज ने कहा कि मैंने मोगा में किसी भी कार्यक्रम को कराने के लिए को 50 हजार रूपए नहीं दिए और न ही मैं किसी प्रकाश कॉमरेड नाम के शख्स को जानती हूं। उन्होंने पुणे पुलिस पर लोगों के मानवाधिकारों के लिए काम कर रहें विभिन्न क्षेत्रों के लोगों और संस्थाओं को बदनाम करने और उनके काम में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया है।
नक्सलियों से सपंर्क रखने के आरोप में गिरफ्तार की गई मानवाधिकार कार्यकर्ता और प्रोफेसर सुधा भारद्वाज पहले भी यह कह चुकी है कि देश में मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाले, आदवासियों के हक के लिए आवाज उठाने वाले लोगों को केंद्र की मोदी सरकार निशाना बना रही हैं। सरकार का रवैय्या दलितों, आदिवासियों के लिए सही नहीं है।
दरअसल भीम कोरेगांव मामले में नक्सलियों से सपंर्क रखने और मौजूदा सरकार को अस्थिर करने के आरोप में देश के अलग-अलग हिस्सों से पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में गिरफ्तार किए गए इन सभी कार्यकर्ताओं को घर में नजरबंद करने का फैसला किया था।
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