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जब पहली बार पत्नी ने पति को बांधी राखी, पढ़ें पहली बार किसने बांधी राखी और कैसे हुई इसकी शुरुआत

New Delhi: 26 अगस्त यानी कल भाई-बहन का सबसे खूबसूरत त्यौहार है जिसमे बहन अपने भाई के हाथ में राखी बांधकर भाई से रक्षा का वचन लेती है। तो वहीं भाई उपहार देने के साथ ही इस वचन को स्वीकार करता है। लेकिन पुराणों में एक ऐसी कहानी का भी जिक्र है जब एक पत्नी ने

कल राखी के लिए कई सुभ मुहरत हैं और सुबह से इस खूबसूरत पर्व को हर कोई सेलिब्रेट करेगा। तो वहीं पुराणों की अगर हम बात करें तो उस वक्त रामायण काल में भी भगवान को राखी बांधी गई थी। इतिहास में रानी करणावती ने हुंमायु को राखी भेजकर अपनी सुरक्षा की मांग की थी। वहीं, पौराणिक कथा की बात करें, तो द्रोपदी ने श्रीकृष्ण का हाथ कट जाने पर अपनी साड़ी फाड़कर उनकी कलाई में बांधा था। इसका कर्ज श्रीकृष्ण ने चीरहरण के समय द्रौपदी की लाज बचाकर चुकाया था। बताया जाता है कि, श्रीकृष्ण ने राखी बांधने के साथ ही द्रौपदी से अपने वचन को पूरा भी किया। इसके इतर एक ऐसी कहानी का भी ज़िक़्र होता है जब एक पत्नी ने अपने पति की कलाई पर राखी बांधी थी। यह बेहद रोचक है जिसको जानकर आपको काफी हैरानी होगी। 

तो वहीं एक पौराणिक कथा के प्रसंग के अनुसार, इस त्योहार की शुरुआत एक पत्नी ने अपने पति की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर की थी। कथा में कहा गया है कि एक बार दानवों ने देवताओं पर आक्रमण कर उन्हें हरा दिया। देवराज इंद्र की पत्नी शचि देवताओं की हार से घबरा गईं और इंद्र के प्राणों की रक्षा का उपाय सोचने लगीं। इसके बाद सचि ने तप करने शुरू किया जिसमे एक रक्षा सूत्र पैदा हुआ। इसके बाद शचि ने श्रावण पूर्णिमा के दिन इस रक्षासूत्र को इंद्र की कलाई पर बांध दिया। इससे देवताओं की शक्ति बढ़ गई और वे दानवों पर विजय पाने में सफल हुए। इसलिए इस दिन से रक्षा बंधन का त्योहार बनाया जाने लगा। तो यह त्यौहार भी भगवान के द्वारा ही शुरू किया गया था जो आज तक खूबसूरत अंदाज में हर भाई-बहन मनाते हैं।  ऐसे में आप समझ सकते हैं कि, इस रक्षा सूत्र की कितनी अधिक मान्यता है। 

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