New Delhi: ब्रिटेन के एक टॉप डिप्लोमैट ने भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक स्वर्ण मंदिर को एक मस्जिद करार दे दिया, जिसके बाद विवाद हो गया।
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सिख समुदाय के विरोध के बाद विवाद बढ़ता हुआ देख उन्होंने अपनी इस भूल के लिए माफी मांग ली। विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय के स्थायी अवर सचिव साइमन मैक्डॉनल्ड ने सोमवार को एक ट्वीट में अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर को ‘स्वर्ण मस्जिद’ (गोल्डन मॉस्क) लिख दिया था, हालांकि बाद में अपनी भूल का अहसास होने पर उन्होंने माफी मांग ली।
मैक्डॉनल्ड ने ट्वीट किया था, ‘महारानी की जन्मदिन पार्टी में 1997 में अमृतसर के स्वर्ण मस्जिद (गोल्डन मॉस्क) में महारानी की तस्वीर भेंट की गई, उप-उच्चायोग के दीवार के लिए स्थायी स्मृति चिह्न के तौर पर इसे भेंट किया गया।’ अपनी भूल का एहसास होने पर मैक्डॉनल्ड ने माफी मांगी। विदेश कार्यालय के शीर्ष राजनयिक ने मंगलवार की सुबह कहा, ‘मैं गलत था। मुझे दुख है। मुझे स्वर्ण मंदिर (गोल्डन टेंपल) या इससे भी अच्छा श्री हरमिंदर साहिब कहना चाहिए था।’ बहरहाल, सिख फेडरेशन के अध्यक्ष भाई अमरीक सिंह ने कहा, ‘यह एक शीर्ष सिविल सेवक की बड़ी चूक थी और यह पूरी तरह अस्वीकार्य है। यह उनके जैसे कद के व्यक्ति में काफी बेपरवाही दिखाता है।’
दि गार्डियन ने अमरीक के हवाले से कहा, ‘मेरी राय में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगना और गलती कबूल करना काफी नहीं है। हमें ब्रिटिश सरकार और वरिष्ठ सिविल सेवकों से प्रतिबद्धता की दरकार है ताकि ऐसी बेपरवाही और भेदभाव खत्म हो या फिर हम नफरत, अभद्रता और हिंसा की धमकियों का सामना करते रहें।’ मैक्डॉनल्ड ने यह चूक ऐसे समय में की है जब लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने लेबर सरकार बनने पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में 1984 में भारतीय सेना की छापेमारी में ब्रिटिश सेना की भूमिका की स्वतंत्र जांच कराने की योजना की घोषणा की है।
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