New Delhi: अगर आप अपने शत्रुओं से बहुत अधिक परेशान हैं। वह आपके हर काम में बाधा बनते हैं, तो सोमवार के दिन करें ये काम। इससे आपको हमेशा के लिए शत्रुओं से निजात मिल जाएगा।
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सोमवार, 23 अप्रैल यानि आज देवी दुर्गा के एक स्वरूप मां बंगलामुखी की जयंती है। देवी बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इनकी उत्पत्ति सौराष्ट्र के हरिद्रा नामक सरोवर से मानी जाती है। इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहा जाता है। इसीलिए इनकी पूजा में अधिक से अधिक पीले रंग की चीज़ों का इस्तेमाल किया जाता है। मां बगलामुखी को शत्रुनाश की देवी भी कहते है। इस दिन मां के मंत्र को सिद्ख करने के साथ इस तरह ये उपाय अपनाएं। ऐसा करने से आपके शत्रुओं का नाश जरुर होगा। जानइए इसके बारें में।
आज के दिन कुम्हार के घूमते हुए चाक से मिट्टी लाकर रात के समय एक बैल की आकृति बनाएं। अब एक सफेद रंग के कोरे कागज पर अपने शत्रु का नाम लिखकर, उस कागज को मोड़कर, उसकी पर्ची बना लें और उस पर्ची को अपनी उगंली की सहायता से बैल के मुंह के अन्दर दबा दें। फिर उस बैल पर हरिताल का लेप करके उसकी पूजा करें। साथ ही उस बैल की आकृति के सामने बैठकर 1008 बार बगलामुखी के मंत्र का जाप करें।
“ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।”
शत्रु नाश के लिये या शत्रु के स्तंभन के लिये बैल की आकृति बनाकर देवी बगलामुखी के मंत्र का 36,000 बार जाप करना चाहिए, लेकिन आज बगलामुखी जयंती के दिन केवल 1008 बार इस मंत्र का जाप करके भी आप अपने शत्रु का नाश कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे जब तक आपका कार्य सिद्ध न हो, उस बैल की आकृति की प्रतिदिन पूजा करें और बाद में जब आपको सिद्धि मिल जाये तो उस बैल को किसी साफ पानी के स्त्रोत में प्रवाहित कर दें।
आज के दिन देवी मां के मंत्र जप के साथ ही कवच का पाठ भी करना चाहिए। मन्त्रमहार्णव के अनुसार अगर आप किसी को अपने वश में करना चाहते हैं, तो उस व्यक्ति का ध्यान करते हुए देवी मां के 1000 मंत्रों का जप करके, कवच का पाठ करने से वह व्यक्ति तीन रात्रि के बाद वश में हो जाता है। साथ ही शत्रु का स्तंभन करने के लिये हरिताल और हल्दी से शत्रु की प्रतिमा अंकित करके, शत्रु के नाम का ध्यान करके आज से इक्कीस दिनों तक प्रतिदिन एक हजार मंत्रों का जाप करें और इसके बाद चौबीस बार कवच का पाठ करें तो निश्चित ही शत्रु का स्म्भन हो जाता है।
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