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New Delhi: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक ऐसा चुनावी दाव खेला है जिसमे बीजेपी पूरी तरह उलझ गई है। सिद्धारमैया ने कर्नाटक के लिए एक झंडे का डिजाइन कैबिनेट से पास कराया है जिसको अब वह केंद्र सरकार को भेजने जा रहे हैं ताकि इसको संवैधानिक मंजूरी मिल सके।
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कन्नड़ संगठनों के साथ अपने कैम्प दफ्तर में बैठक के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस झंडे को दिखाया जो तीन रंगों का है। झंडे में ऊपर पीली पट्टी, बीच मे सफेद और नीचे लाल पट्टी है। बीच मे सफेद पट्टी पर राज्य का प्रतीक चिन्ह "गंद्दु भेरुण्डा" (दो बाज) बना है। सिद्धारमैया ने कहा कि "हम झंडे से जुड़े दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। इस झंडे को राष्ट्रीय ध्वज से नीचे फराएंगे और किसी भी तरह का उल्लंघन इससे नहीं होता।"
इस झंडे को मुख्यमंत्री कन्नड़ लोगों का अभिमान कहते हैं। करीब सभी कन्नड़ संगठनों का इसको समर्थन हासिल है। कन्नड़ संगठनों के वरिष्ठ नेता सारा गोविंद का कहना है कि " मैं कन्नड़ लोगों की तरफ से मुख्यमंत्री का धन्यवाद अदा करता हूं जिनकी पहल से ही आज यह संभव हो पाया।"
अब दुविधा में बीजेपी है। विधानसभा चुनावों को करीब दो माह का वक्त बचा है। ऐसे में पार्टी को समझ में नहीं आ रहा कि करे तो क्या करे। अगर बीजेपी इस झंडे का समर्थन करती है तो यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सिद्धांत "एक राष्ट्र एक ध्वज" का विरोध होगा। अगर बीजेपी इस झंडे का विरोध करती है तो विधानसभा चुनाव में उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। विधानसभा में बीजेपी के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार का कहना है कि "मैं इस झंडे के बारे में फिलहाल बात नहीं करना चाहता, पहले में झंडा देखूंगा फिर बताऊंगा।"
कर्नाटक साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रोफेसर चंद्रशेखर पाटिल उर्फ चम्पा ने कहा कि "यह एक ऐतिहासिक दिन है और तकनीकी तौर पर इस झंडे को केंद्र को मंजूरी देने में परेशानी नहीं होनी चाहिए।"
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