New Delhi: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर पक्षकार हाजी महबूब ने श्री-श्री रविशंकर के फॉर्मुले को ठुकरा दिया है। हाजी महबूब का कहना है कि उन्हें कोर्ट का फैसला मंजूर है।
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वहीं बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि हमें श्री श्री रविशंकर का फॉर्मूला स्वीकार नहीं है। बता दें कि बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद के विषय पर अपनी मध्यस्थता की कोशिशें फिर से शुरू करते हुए ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ (एओएल) के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने बातचीत को आगे बढ़ाया। गुरुवार को श्रीश्री ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रमुख सदस्यों के साथ बात की। इस बैठक में एआईएमपीएलबी और सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्यों सहित मुस्लिम नेताओं के साथ एक बैठक की।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने सभी पक्षों को दो हफ्ते के अंदर मामले से जुड़े कागजात लाने को कहा है, मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि वह इस मामले की सुनवाई एक जमीनी विवाद के तौर पर ही करेंगे, किसी भी धार्मिक भावना और राजनीतिक दबाव में सुनवाई को नहीं सुना जाएगा।
बैठक के बाद एओएल ने बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड, ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के प्रमुख सदस्यों और अन्य ने रविशंकर से मुलाकात की और अयोध्या विषय का अदालत के बाहर हल किए जाने का समर्थन किया। एओएल ने एक बयान में कहा, उन्होंने मस्जिद को बाहर कहीं दूसरी स्थान पर ले जाए जाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है।
इस बैठक में कई संगठनों के 16 नेता बैठक में शरीक हुए थे। विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि और विद्वान भी इसमें शरीक हुए। एओएल के एक अधिकारी ने बताया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य मौलाना सैयद सलमान हुसैन नदवी, उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्त बोर्ड प्रमुख जफर अहमद फारूकी, लखनऊ के टीले वाली मस्जिद के मौलाना वसीफ हसन और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डॉ अनीस अंसारी बैठक में शरीक हुए।
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