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New Delhi : भारत के Former President Dr. APJ Abdul Kalam को 'missile man' के नाम से पूरी दुनिया जानती है। Dr. Kalam ने भारतीय सेना के लिये कई मिसाइलों का विकास कर देश की सुरक्षा में अहम योगदान दिया था। इसी के बाद से उन्हें 'Missile Man' कहकर लोग बुलाने लगे, लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं भारत की 'Missile woman' कहलाने वाली Dr. Tessy Thomas के बारे में जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
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Dr. Tessy Thomas DRDO की ऐसी महिला वैज्ञानिक है, जिन्होंने अपना सारा जीवन भारत की Agni मिसाइलों के विकास में लगा दिया। भारत की 3500 कि. मी. तक मार करने वाली अग्नि- 4 मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद से ही रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन (DRDO) की इस महिला वैज्ञानिक डॉ. टेस्सी थॉमस को 'अग्नि पुत्री' के नाम सम्बोधित किया जाने लगा था। खास बात है कि डॉ. थॉमस डॉ अब्दुल कलाम को अपना गुरु मानती है जो भारत के मिसाइल कार्यक्रम और परियोजना के जनक रहे है।
विश्व ने डॉ. टेस्सी थॉमस को तब पहचाना ही नहीं इनका लोहा भी माना जब इन्होंने 19 अप्रैल 2012 को देश की सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी मिसाइल परियोजना में अग्नि-5 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में अग्नि-5 की स्ट्राइक रेंज 5,000 किलोमीटर की मिसाइल का सफल परीक्षण कर दिखाया था। भारत के लिए मात्र यह एक वैज्ञानिक उपलब्धि ही नही थी बल्कि यह हमारे देश की सामरिक शक्ति और रक्षा कवच का भी पूरे विश्व को परिचय दिया गया था। आज भारत इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली की क्षमता से लैस ऐसा विश्व में पांचवा देश है जो 5000 कि.मी. तक अपनी मिसाइल की मार से किसी भी दुश्मन को उसके घर में ही ढेर कर सकता है और अपने नागरिकों को सुरक्षित रखने में सक्षम है। इसका सारा श्रेय डॉ. टेस्सी थॉमस को ही जाता है।
कौन हैं Dr. Tessy Thomas: केरल के एक Catholic परिवार में डॉ. टेस्सी थॉमस का जन्म अप्रैल 1964 में हुआ था। इनका नाम शांति की दूत Nobel prize विजेता मदर टेरेसा के नाम पर रखा गया। टेस्सी थॉमस जब स्कूल में पढ़ा करती थी, उन दिनों Nasa का अपोलो यान चाँद पर उतरने वाला था। इन्हें रोजाना उस यान के बारे में सुनकर प्रेरणा मिल रही थी कि ये भी एक दिन ऐसा एक राकेट बनाये जो इसी तरह आसमान की ऊंचाई को छू सके। टेस्सी थॉमस का ये उन दिनों एक सपना था। अग्नि-5 की सफलता ने उनकी मेहनत, लगन और प्रतिभा से केवल टेस्सी थॉमस का ही सपना पूरा नहीं हुआ है बल्कि देश का भी एक वो सपना पूरा हुआ है, जो इस देश को स्वदेशी राकेट और मिसाइल तकनीक से वैज्ञानिक और सामरिक रूप से अपने पैरो पर खड़ा देखने के लिए बरसो पहले डॉ. विक्रम साराभाई और डॉ. सतीश धवन ने देखा था।
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