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निर्भया कांड के 5 साल: सुरक्षा के लिए जारी हुआ 3100Cr का फंड, 90% धरा रह गया

New Delhi: 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप की दिल दहलाने वाली घटना हुई। देश के कोने-कोने में निर्भया को इंसाफ दिलाने लोग सड़कों पर उतरे, कानून तक बदल गया।

सरकार ने रेप और यौन शोषण की शिकार महिलाओं की मदद के लिए 1,000 करोड़ रुपए का निर्भया फंड भी स्थापित कर दिया, लेकिन आज करीब 5 साल के बाद भी सरकार इस फंड का सही इस्तेमाल नहीं कर पाई है। इस फंड से रेप, घरेलू हिंसा, एसिड अटैक और अन्य हिंसा की शिकार महिलाओंं की इमरजेंसी में मदद की जानी थी।

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3 साल तक फंड का इस्तेमाल नहीं: 2013-14 और 2014-15 में इस फंड में 1000-1000 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने दिए। मोदी सरकार बनने के बाद 2015-16 मेंं इस फंड के लिए कोई बजट आवंटित नहीं किया गया। यही नहीं फंड बनने के तीन साल बाद तक तो फंड से एक पैसे का इस्तेमाल नहीं हुआ। बाद में 2016 में जाकर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने फंड के इस्तेमाल के लिए नियम बनाए।

सरकार ने भी आवंटन घटाकर अगले दो साल 2016-17 और 2017-18 के लिए 550-550 करोड़ रुपए कर दिया। लेकिन इस आवंटन के बाद भी जब कोई काम होता नहीं दिखा और हल्ला मचा तो अगस्त 2017 में सरकार ने संसद में कहा कि केंद्र और राज्य के विभिन्न महकमों ने निर्भया फंड के इस्तेमाल के लिए 2209 करोड़ रुपए की 22 स्कीम्स भेजी हैं।

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कुल फंड का 90% रखा रह गया : पांच साल में कुल 3100 करोड़ रुपए के फंड के बावजूद केवल 300 करोड़ की योजनाएं ही धरातल पर आई हैं। यानी कुल फंड का 90% रखा रह गया। हालांकि निर्भया फंड की प्रगति के रिव्यू को लेकर पिछले महीने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में हुई विभिन्न मंत्रालयों की बैठक में जो स्थिति बताई गई उसके मुताबिक गृह मंत्रालय की ज्यादातर योजनाएं अभी अमल में आने की स्थिति में नहीं हैं। जबकि बीते सालों में लगातार रेप की घटनाएं बढ़ी ही हैं।

2012 में निर्भया कांड के समय देश में रेप के मामलों की संख्या 24,923 थी, जो 2015 में 34,651 के पार चली गई। वहीं 2016 और 2017 के आधिकारिक आंकड़े आना अभी बाकी हैं। बावजूद इसके जिस दिल्ली में निर्भया कांड हुआ, वहीं अभी तक वन स्टॉप सेंटर नहीं खुला है। दरअसल महिलाओं को सहायता पहुंचाने के लिए यह प्रोजेक्ट केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का था। इन सेंटर पर पहुंचने वाली पीड़ित महिलाओं को मेडिकल फैसिलिटी, एफआईआर करने में सहायता और वकील की मदद जैसी चीजें एक ही सेंटर पर मिलनी थीं। हालांकि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अफसरों ने बताया कि इस समय 165 वन स्टॉप सेंटर शुरू हो गए हैं।

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गृह मंत्रालय के पास कुल निर्भया फंड के करीब आधे यानी 1100 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट हैं। इसमें 321 करोड़ रुपए की इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम (ईआरएसएस), 200 करोड़ रुपए की क्रिएशन ऑफ सेंट्रल विक्टिम कंपनसेशन फंड (सीवीसीएफ), 324 करोड़ रुपए की क्रिएशन ऑफ इनवेस्टिगेशन यूनिट्स फॉर क्राइम अगेन्स वुमन (आईयूसीएडब्ल्यू), 82 करोड़ रुपए की ऑर्गनाइज्ड क्राइम इनवेस्टिगेशन एजेंसी (ओसीआईए) और 195 करोड़ की साइबर क्राइम प्रिवेंशन अगेन्स्ट वुमन एंड चिल्ड्रन योजनाएं शामिल थीं।

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