New Delhi: ‘लौह पुरुष’ सरदार बल्लभ भाई पटेल के नाम के सामने ‘लौह पुरुष’ लगने की कहानी तो बहुत बड़ी है। उन्होंने जीवन में कई ऐसे महत्तवपूर्ण निर्णय लिए जिसके बाद उन्हें ‘लौह पुरुष’ की संज्ञा दी गई। उनका लोहा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी मानते थे।
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सरदार बल्लभ भाई पटेल बड़े ही हिम्मत वाले इंसान थे। उनकी हिम्मत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें बचपन में फोड़ा हो गया था जिसका खूब इलाज करवाया गया लेकिन वह ठीक नहीं हुआ। इस पर एक वैध ने सलाह दी कि इस फोड़े को गर्म सलाख से फोड़ा जाए तो ठीक हो जाएगा।
चूंकि सरदार बल्लभ भाई पटेल उस समय बच्चे थे ऐसे में बच्चे को सलाख से दागने की हिम्मत किसी की भी नहीं हुई। जिसके बाद वह देखने को मिला जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। सरदार पटेल ने खुद ही लोहे की सलाख को गर्म किया और उसे फोड़े पर लगा दिया, जिससे वह फूट गया। उनके इस साहस को देख परिवार भी अचंभित रह गया।
यह प्रसंग उनके जीवन को समझने में सहायक है। आगे चलकर उनकी इसी दृढ़ता और साहस ने उन्हें महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कुशल प्रशासक के रूप में प्रतिष्ठित किया। देश को आजाद करने में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
पत्नी की मौत की सूचना के बाद भी लड़ते रहे केस
सरदार पटेल कोर्ट में जज के सामने जिरह कर रहे थे, तभी उन्हें एक टेलीग्राम मिला, जिसे उन्होंने देखा और जेब में रख लिया। उन्होंने पहले अपने वकील धर्म का पालन किया, उसके बाद घर जाने का फैसला लिया। तार में उनकी पत्नी के निधन की सूचना थी।
वस्तुत: यह उनके लौहपुरुष होने का भी उदाहरण था। ऐसा नहीं कि इसका परिचय आजादी के बाद उनके कार्यों से मिला, बल्कि यह उनके व्यक्तित्व की बड़ी विशेषता थी। इसका प्रभाव उनके प्रत्येक कार्य में दिखाई देता था।
माहत्मा गांधी भी मानते थे सरदार पटेल का लोहा:
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के साथ ही कांग्रेस में एक बड़ा बदलाव आया था। इसकी गतिविधियों का विस्तार सुदूर गांव तक हुआ था। लेकिन इस विचार को व्यापकता के साथ आगे बढ़ाने का श्रेय सरदार पटेल को दिया जा सकता है। उन्हें भारतीय सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था की भी गहरी समझ थी। वह जानते थे कि गांवों को शामिल किए बिना स्वतंत्रता संग्राम को पर्याप्त मजबूती नहीं दी जा सकती।
निजी संपत्ति के नाम पर कुछ नहीं मिला:
सरदार पटेल की ईमानदारी ऐसी कि निधन के बाद खोजबीन किए जाने पर उनकी निजी संपत्ति के नाम पर कुछ नहीं था। लेकिन उनके प्रति देश की श्रद्धा और सम्मान का खजाना उतना ही समृद्धशाली था। यह उनकी महानता का प्रमाण है।
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