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New Delhi: भारत का सबसे पुराना आइसक्रीम ब्रैंड बिकने की कगार पर है। अहमदाबाद की 8 दशक पुरानी कंपनी वाडीलाल पर गांधी परिवार का मालिकाना हक है। वाडीलाल से कंपनी के प्रमोटर्स पूरी तरह से निकलने की सोच रहे हैं। फ्रोजेन फूड सेगमेंट में वाडीलाल के पास सबसे अधिक बाजार हिस्सेदारी है।
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बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड कंपनी के 64 प्रतिशत शेयर इसके प्रमोटर्स के पास हैं। इस मामले से वाकिफ एक सूत्र ने बताया कि वाडीलाल ने लिंकन इंटरनैशनल को इन्वेस्टमेंट बैंकर चुना है, जो उसकी तरफ से संभावित खरीदारों से संपर्क करेगा। एक सूत्र ने बताया कि वैल्यूएशन और कितनी हिस्सेदारी बेचनी है, इस बारे में फैसला प्रमोटर खरीदार को देखकर तय करेंगे।
एक अन्य करीबी सूत्र ने बताया कि वाडीलाल इंडस्ट्री में 60 प्रतिशत के करीब हिस्सेदारी के लिए प्रमोटर 600 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। एक अन्य सूत्र ने बताया कि अभी एक ही प्रमोटर कंपनी से निकलना चाहते हैं, जिनके पास बड़ी हिस्सेदारी है। सूत्र ने बताया कि वीरेंद्र गांधी कंपनी में अपने शेयर बेच सकते हैं। हालांकि, इकनॉमिक टाइम्स स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि नहीं कर पाया कि एक प्रमोटर हिस्सेदारी बेचना चाहते हैं या सभी प्रमोटर इसका मन बना चुके हैं। इस बारे में लिंकन इंटरनैशनल, वाडीलाल इंडस्ट्रीज और उसके मैनेजिंग डायरेक्टर ऐंड चेयरमैन को भेजे गए सवालों का जवाब नहीं मिला।
2015 में एक पारिवारिक विवाद कंपनी लॉ बोर्ड तक पहुंच गया था। इसमें दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर मिसमैनेजमेंट और वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया था। वीरेंद्र गांधी ने याचिका दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके भाई राजेश और कजिन देवांशु ने मिलकर गलत तरीके से वाडीलाल केमिकल्स पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा था कि दोनों ने मिलकर उन्हें इस कंपनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के पद और बोर्ड से हटा दिया है। इस मामले में आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट हुआ, जिसकी डिटेल सार्वजनिक नहीं कई गई। इकनॉमिक टाइम्स ने 29 दिसंबर 2015 को सबसे पहले इस पारिवारिक झगड़े की खबर दी थी।
दिवगंत रामचंद्र गांधी के बच्चों और भतीजे के बीच विवाद की वजह 1999 में परिवार के सदस्यों के बीच हुआ मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) है। इसके मुताबिक, रामचंद्र के बड़े बेटे वीरेंद्र और राजेश और उनके भाई लक्ष्मण के बेटे देवांशु को वाडीलाल ग्रुप की कंपनियों में बराबर की हिस्सेदारी दी गई थी। इसमें अनलिस्टेड वाडीलाल केमिकल्स भी शामिल है। वीरेंद्र गांधी ने 2015 में कंपनी लॉ बोर्ड में जो याचिका दायर की थी, एमओयू उसका भी हिस्सा था। इसके मुताबिक, इन बिजनस पर संयुक्त मालिकाना हक रहेगा और कोई भी पार्टी सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर किसी लिस्टेड कंपनी या पार्टनरशिप फर्म में बिना लिखित सहमति के हिस्सेदारी नहीं बढ़ा सकती।
सितंबर 2017 तक वाडीलाल में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 64.80 प्रतिशत थी यानी उनके पास 46,60,370 शेयर थे। इनमें से वीरेंद्र के पास 2,78,333 शेयर थे। राजेश के पास 29,0132 और देवांशु के पास 34,1450 शेयर थे। बाकी के शेयर परिवार के दूसरे सदस्यों के नाम थे। कंपनी को वित्त वर्ष 2016-17 में 16.33 करोड़ का मुनाफा हुआ था और कुल इनकम 482.34 करोड़ रुपये थी। वाडीलाल के शेयर पिछले शुक्रवार को 1,029.55 रुपये पर बंद हुए थे और कंपनी की मार्केट वैल्यू 740 करोड़ रुपये थी।
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