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स्विस बैंक में कोई भारतीय नहीं छुपा सकेगा कालाधन, पैसा जमा होते ही मिलेगी एक-एक पाई की जानकारी

New Delhi: कालेधन को लेकर किया गया PM मोदी द्वारा किया गया बड़ा वादा पूरा करने की दिशा में सरकार आगे बढ़ गई है। स्विस सरकार के साथ भारत के कालाधन संबंधी बैंकिंग सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान वाले प्रस्ताव को स्विट्जरलैंड की संसदीय समिति ने भी मंजूरी दे दी

ऐसे में अब देश का पैसा चुराकर स्विस खातों में रखने वालों के लिए आफत आनी तय है।

दरअसल, स्विट्जरलैंड संसद के उच्च सदन की आर्थिक और टैक्स मामलों की समिति ने भारत और 40 अन्य देशों के साथ इस संबंध में प्रस्तावित करार के मसौदे को मंजूरी दी है, लेकिन इसके साथ समिति ने व्यक्तिगत कानूनी दावों के प्रावधानों को मजबूत करने का भी सुझाव दिया है। समिति की 2 नवंबर की अंतिम बैठक के विवरण के अनुसार, उसने अपने देश की सरकार को संसद में एक कानून संशोधन प्रस्ताव रखने को कहा है, जो व्यक्तिगत कानूनी संरक्षण को मजबूत करने वाला हो। इसके साथ ही समिति ने यह सुनिश्चति करने को कहा है कि ऐसे किसी मामले में जहां व्यक्तिगत दावे के आवश्यक कानूनी अधिकार का उल्लंघन हो रहा हो उनमें सूचनाओं का आदान प्रदान नहीं होना चाहिए।  

इस प्रस्ताव को अब मंजूरी के लिए संसद के 27 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में संसद के उच्च सदन के सामने रखा जाएगा। इस करार से अभी तक कालेधन के सुरक्षित पनाहगाह रहे स्विट्जरलैंड से कालाधन रखने वालों के बीच लगातार ब्योरा मिल सकेगा। करार के तहत जिन सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है उनमें खाता संख्या, नाम, पता, जन्म की तारीख, कर पहचान संख्या, ब्याज, लाभांश, बीमा पालिसियों से प्राप्ति, खाते में शेष और वित्तीय परिसंपत्तियों की बिक्री से प्राप्ति शामिल है। 

ऐसे काम करेगी व्यवस्था : यदि किसी भारतीय का स्विट्जरलैंड में बैंक खाता है, तो संबंधित बैंक वहां के अधिकारियों को खाते का Financial Report सौंपेगा। उसके बाद स्विस अधिकारी स्वत: तरीके से इन सूचनाओं को भारत में अपने समकक्षों को स्थानांतरित करेंगे, जो उसकी जांच कर सकेंगे। सीमा पार टैक्स चोरी रोकने के लिए भारत और स्विट्जरलैंड सहित करीब 100 देशों ने सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान के वैश्विक मानदंडों (AEOI) को अपनाने की प्रतिबद्धता जताई है। 

हालांकि, स्विट्जरलैंड के घरेलू बैंक ग्राहकों की गोपनीयता AEOI से प्रभावित नहीं होगी। यह करार अगले साल से लागू होगा और भारत के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान 2019 से शुरू हो जाएगा। भारत के साथ सूचनाओं की स्वचालित व्यवस्था के प्रस्ताव को स्विट्जरलैंड की संसद के निचले सदन नैशनल काउंसिल ने सितंबर में अनुमोदित किया था। 

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