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ऐसा समाज जहां दूल्हे की होती है विदाई, ससुराल में करते हैं चूल्हा-चौका

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 New Delhi : आपने शादी के बाद दुल्हन को अपने पति के घर विदा होते हुए कई बार देखा होगा, लेकिन हमारे देश में एक ऐसा समाज है भी है, जहां दुल्हन नहीं बल्कि दूल्हे की विदाई होती है।अब अगर आप सोच रहे हैं कि इसमें हैरानी की क्या बात है, दूल्हा अपने ससुराल में घर-जमाई बनकर ऐश करेगा तो आप गलत हैं। बेटी के पति को ससुराल में घर का सारा काम करना पड़ता है। 

रेबाड़ी समुदाय ने सदियों से चली आ रही परंपरा में थोड़ा बदलाव किया है, यहां शादी के बाद लड़कियां अपना घर नहीं छोड़तीं, बल्कि लड़के अपने माता-पिता का घर छोड़ बीवी के घर में रहते हैं। रेबाड़ी समुदाय में डिमांड-सप्लाई गैप है, जिसकी वजह से यह बदलाव किया गया है। लेकिन ऐसा नहीं है कि शादी के बाद दूल्हा हमेशा के लिए दुल्हन के घर रहता है। शादी के सात साल पूरे होने के बाद दुल्हन को ससुराल भेज दिया जाता है। सात सालों तक बेटी का पति अपने सास-ससुर के घर के काम करता है, वे जैसे चाहें उसे वैसे रख सकते हैं।

 रेबाड़ी लोग झुंडों में एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते हैं, ये लोग बेटों को प्राथमिकता देते हैं, इसी वजह से इस समुदाय में लड़कियां कम हैं। वे कहते हैं कि पशुओं को चराने के लिए उन्हें इधर-उधर जाना पड़ता है, जिसकी वजह से लड़कियों की सुरक्षा उनके लिए अहम मुद्दा बन जाता है। यही वजह है कि बेटों को प्राथमिकता दी जाती है।

सोसायटी ऑफ ऑल राउंड डिवेलपमेंट (SARD), सिरोही के सदस्य बृजमोहन शर्मा ने बताया, 'इस समुदाय में सेक्स रेश्यो 634। इस घटते रेश्यो से निपटने के लिए ये लोग अपने ही तरीके निकाल रहे हैं, जो इनके शादी-ब्याह के मामलों में दिखाई देता है।' इस समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सूर्ता राम देवासी ने कहा, 'यहां शादी के लिए कुछ शर्तें माननी पड़ती हैं।'

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