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New Delhi: मुंबई आतंकी हमले के वक्त आतंकियों का सफाया कर सुर्खियों में आने वाले NSG यानी नेशन सिक्योरिटी गार्ड्स के कमांडो अपनी बहादुरी और तेज तर्रार कार्रवाई के लिए दुनियाभर में मशहूर हो चुके हैं। लेकिन अब NSG में ब्लैक कैट कमांडो बनना बहुत ही मुश्किल हो गया है। दरअसल, NSG ने कमांडो भर्ती प्रक्रिया में विएना टेस्ट को जोड़ दिया है, जिसके कारण अब बिजली जैसी रफ्तार और बाज जैसी नजर वाले युवा ही ब्लैक कमांडो बन सकेंगे।
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आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने में माहिर NSG ने अब सबसे बेहतरीन कमांडो चुनने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे कठिन माने जाने वाले विएना टेस्ट को भर्ती प्रक्रिया में जोड़ दिया है। इस टेस्ट के जरिए भर्ती के लिए आवेदन करने वाले के स्वाभाविक गुणों और दमखम को कई तरह के मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की कसौटी पर परखा जाएगा। इसमें आवेदक का साहस, निष्ठा, टीम भावना देखने के साथ तनाव सहने की क्षमता, त्वरित रिस्पॉन्स, बुद्धिमत्ता, व्यक्तित्व को कई पैमानों पर जांचा जाता जाएगा। इनमें से कई टेस्ट ऐसे होंगे जिनकी निगरानी कंप्यूटर द्वारा हर पल की जाएगी।
आपको बता दें कि इससे पहले कमांडो को DRDO से मंजूर डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजिकल रिसर्च (DIPR) के मिलिट्री साइकोलॉजी टेस्ट से गुजरना पडता था। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के लिए वियना टेस्ट पिछले 15 साल से जारी है। NSG के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, इस टेस्ट से हमें बेहतर उम्मीदवारों को छांटने में आसानी रहती है। कमांडो सुपरफिट होने के साथ बहुत तेज दिमाग वाले भी होने चाहिए। उन्हें सेकेंड के कुछ हिस्सों में ही मौके पर फैसला लेना होता है, इसके लिए हम मजबूत इरादा, साहस, तनाव प्रबंधन के अलावा और भी कई तरह के कौशल देखते हैं।
कमांडो भर्ती प्रक्रिया से वियना टेस्ट को जोड़ने का फैसला NSG के महानिदेशक सुधीर प्रताप सिंह की ओर से लिया गया है। उनका कहना है कि वियना टेस्ट को दुनिया में सबसे अव्वल माना जाता है फिर हमारे कमांडोज के लिए दुनिया का श्रेष्ठ से श्रेष्ठ क्यों ना हो। हमारे पास दो बैच ऐसे हैं जो इस टेस्ट से गुजर चुके हैं। इससे हमें बेहतरीन ऑफिसर और जवान मिलेंगे। कमांडो की 90 दिन की ट्रेनिंग के दौरान 14-20% ड्रॉप आउट्स देखे जाते हैं। वियना टेस्ट को इसीलिए कमांडो के दमखम की सबसे ऊंची पहचान माना जाता है।
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