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हड‍्डिया जमा देने वाली ठंड में भी इस पोस्ट को कभी खाली नहीं छोड़ती सेना, शान से लहराता है तिरंगा

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  New Delhi: दुनिया में जंग के सबसे ठंडे मैदान को भारतीय सेना कभी खाली नहीं छोड़ती हैं। इसके लिए सेना की एक ब्रिगेड यानी 3 हजार जवान दिन रात निगेहबानी करते हैं।    जी हां हम बात कर रहे हैं सियाचिन ग्लेशियर की। 24 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित यह स्थान भारत के लिए क्यों खास है कभी आपने सोचा है? नहीं तो चलिए हम बताते हैं आपको बेहद खतरनाक हालात में हमारे सैनिक सियाचिन ग्लेशियर पर लगातार क्यों दिन रात डटे रहते हैं?

शून्य से भी 50 डिग्री नीचे के तापमान वाले सियाचिन ग्लेशियर पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए भारत को हर रोज करीब 10 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैंदरअसल, सियाचिन की भौगोलिक बनावट ऐसी है कि इसके एक तरफ पाकिस्तान की सीमा है तो दूसरी तरफ चीन की सीमा इस इलाके को छूती है। भारत की तरफ से सियाचिन की खड़ी चढ़ाई है। जबकि पाकिस्तान की तरफ से ये ऊंचाई काफी कम है।

वहीं दूसरी ओर चीन का कराकोरम हाइवे यहां से साफ नजर आता है। जिस कारण भारतीय सेना यहां बैठकर एक साथ पाकिस्तान और चीन की गतिविधियों पर नजर रखती है। इस कारण सियाचिन का रणनीतिक महत्व है। अगर पाकिस्तानी सेना ने सियाचिन पर कब्जा कर ले तो पाकिस्तान और चीन की सीमा एक दूसरे से मिल जाएगी और उस स्थिति में चीन और पाकिस्तान का ये गठजोड़ भारत के लिए बेहद घातक साबित होगा। इसलिए भारत ये इलाका किसी भी कीमत पर एक मिनट के लिए भी खाली करने का खोखिम नहीं ले सकता है।

आपको बता दें कि पाकिस्तान चाहता है कि भारतीय सेना सियाचिन ग्लेशियर की चोटियों से हट जाए, लेकिन करगिल से सबक लेने के बाद भारत अब यहां चोटियों को किसी भी खाली नहीं करना चाहता, क्योंकि डर है कि हमारे हटते ही पाकिस्तानी फौजें यहां कब्जा जमा सकती हैं।

जब तक कि पाकिस्तान इस इलाके पर भारत का अधिकार लिखित तौर पर नहीं मान लेता। जाहिर है पाकिस्तान ऐसा कभी करेगा नहीं।  1984 से पहले सियाचिन में भारत और पाकिस्तान की सेना नहीं होती थी। ये इलाका वीरान पड़ा था। 1972 के भारत पाक शिमला समझौते के वक्त भी सियाचिन को बेजान और इंसानों के लायक नहीं समझा गया। लिहाजा समझौते के दस्तावेजों में सियाचिन में भारत-पाक के बीच सरहद कहां होगी, इसका जिक्र नहीं किया गया।

  लेकिन अस्सी के दशक की शुरुआत में जिया उल हक के फौजी शासन के दौरान पाकिस्तान ने सियाचिन ग्लेशियर का रणनीतिक व सामरिक महत्व समझा और चीन के इशारे पर इस पर कब्जा करने की तैयारी शुरू कर दी।

जैसे ही भारत को खबर मिली की पाकिस्तान ने यूरोप में बर्फीले क्षेत्र में पहने जाने वाले खास तरह के कपड़ों और हथियारों का बड़ा ऑर्डर दिया है, तुरंत ही भारतीय सेना इस सूचना से चौकन्ना हो गई। पाकिस्तान के मंसूबे भांपते हुए भारत ने सियाचिन की तरफ कूच कर 1984 में इस क्षेत्र को कब्जा कर लिया, जो आज तक बरकरार है।

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