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यहां है भगवान गणेश का कटा हुआ सिर, आज है भक्तों की आस्था का केंद्र

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New Delhi: भगवान गणेश जी का सिर कैसे कटा? कैसे हाथी का सिर उनके शरीर से जोड़ा गया ? इस कहानी से तो हर कोई परिचित है। लेकिन वह कटा हुआ सिर आज कहां है क्या इसके बारे में आपको जानकारी है?

किसने भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग किया

दरअसल पौराणिक कहानी के अनुसार, माता पार्वती को स्नान के लिए जाना था लेकिन उनके द्वार पर पहरा देने के लिए कोई नहीं था, तभी मां ने अपने तन की मैल से एक बच्चे की रचना की, वो थे गणेश। मां पार्वती ने गणेश को द्वारपाल बनाकर किसी को भी अंदर ना आने का आदेश दिया।

कुछ ही क्षणों में वहां भगवान शिव उपस्थित हुए, जिन्हें गणेश ने अंदर जाने के लिए अनुमति नहीं दी। अनेक यत्नों के बाद भी जब गणेश ने भगवान शिव को अंदर ना जाने दिया तो इस बात से अंजान कि गणेश उन्हीं का पुत्र है, भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने शस्त्र से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। अपने पुत्र गणेश को इस तरह धरती पर कटे हुए धड़ के साथ जब माता ने देखा तो वे बेहद क्रोधित हो गईं और शिव से कहा कि वे गणेश को पहले जैसा जीवित कर दें। तभी भगवान शिव ने हाथी का सिर गणेश के शरीर से जोड़ दिया।

कहां है भगवान गणेश का सिर

ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने क्रोधित होकर जिस सिर को धड़ से अलग किया वो आज उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमान्त कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है। इस जगह को पाताल भुवनेश्वर गुफा के नाम से जाना जाता है। आज यह गुफा भक्तों की आस्था का केंद्र है। मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने ही गणेश के मस्तक को गुफा में रखा था।

108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्मकमल

इस गुफा में भगवान गणेश कटे शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल सुशोभित है जिसे भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था। इस ब्रह्मकमल से पानी भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है और मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है।



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