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New Delhi: अमरनाथ यात्रा के दौरान बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के जवानों के जिम्मे थी। वहां करीब 300 किलोमीटर तक हजारों जवानों की तैनाती की गई थी। जवानों ने न केवल यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता की बल्कि कई मौके पर उन्होंने मानवता का परिचय देते हुए यात्रियों की सहायता भी की। दुर्घटनाग्रस्त यात्रियों की जान बचानी हो या फिर भूखे श्रद्धालुओं को खाना खिलाना, CRPF के जवान सबसे आगे रहे। जवानों द्वारा किए गए बेहतर कार्यो की फेहरिस्त काफी लंबी है। हाल ही में हुई सुरक्षा समीक्षा बैठक में आला अधिकारियों के समक्ष जवानों ने अपनी-अपनी बातें रख अपने कुछ अनूठे कार्यो से अवगत कराया।
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29 जून से लेकर 7 अगस्त तक जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा का आयोजन किया गया था। यात्रा के दौरान ढाई लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए। इनकी सुरक्षा के लिए 300 किलोमीटर के पूरे मार्ग पर चप्पे-चप्पे पर CRPF के जवानों की तैनाती की गई थी। रात-दिन जवान सुरक्षा के कार्यो में लगे थे। सुरक्षा के साथ-साथ उन्होंने कुछ मानवीय कार्यो को भी अंजाम दिया, जो काफी प्रशंसनीय है। अधिकारियों ने बताया कि 29 जून को बालटाल इलाके में जब सिपाही रमेश कुमार बाबा बर्फानी की गुफा से लौट रहे थे, तभी दो घोड़े पर सवार यात्री ग्लेशियर के उपर बने एक लकड़ी के पुल को पार करते दिखे। इसी बीच भूस्खलन हुआ और उसकी चपेट में आकर दोनों यात्री खाई में जा गिरे। इस पर सिपाही ने अपनी जान की परवाह न कर खाई में गिरे दोनों लोगों को ऊपर खींच कर सुरक्षित बचाया।
16 जुलाई की एक घटना में सिपाही धमेंद्र कुमार टीम के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर रात के वक्त पर बुरी तरह दुर्घटनाग्रस्त एक स्विफ्ट कार में सवार घायलों को अस्पताल पहुंचाए, जिससे सभी की जान बच पाई। दो जुलाई को संभल इलाके में पंजाब के गुरदासपुर के कुछ लोग एक दुर्घटना में जख्मी हो गए थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में ठीक होने पर उन्हें उनके गांव तक पहुंचाने की भी व्यवस्था की गई।
नौ जुलाई की एक अन्य घटना में गुजरात से आई यात्रियों से भरी बस दुर्घटना का शिकार हो गई थी। उसमें 38 यात्री थे। वहां तैनात जवानों ने सभी को कैंप अस्पताल में लाकर उपचार कराया। वहीं, 19 जुलाई को आंध्र प्रदेश से आए यात्रियों के जत्थे ने जवानों को बताया कि उनका नकदी व कीमती गहने से भरा बैग श्रीनगर के लाल चौक पर छूट गया है। इसकी जानकारी बाद में लाल चौक पर तैनात जवानों को दी गई, जिसके बाद बैग बरामद कर यात्रियों को सौंप दिया गया। 25 जुलाई को यात्रियों का एक दल दर्शन कर मैनिगाम पहुंचा, लेकिन तब तक भंडारा बंद हो चुका था। इन भूखे यात्रियों के लिए फोर्स के जवानों ने अपना खाना देकर इन लोगों के खाने का इंतजाम किया।
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