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New Delhi: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दुनिया को ज्वालामुखी के कहर से बचाने के एक प्लान तैयार किया है। अमेरिका के येलोस्टोन पार्क में एक ऐसा ज्वालामुखी है जो पूरी दुनिया को तबाह करने की क्षमता रखता है।
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अब वैज्ञानिक ऐसी रणनीति पर काम कर रहे हैं ताकि इस 'सुपरवॉल्केनो' को फटने से रोका जा सके। नासा के रिसर्चर्स के मुताबिक इस ज्वालामुखी के बेस में खुदाई से एक समाधान निकल सकता है। उन्हें कहा कि खुदाई के बाद हाई प्रेशर वाले वॉटर जेट्स की मदद से ज्वालामुखी को ठंडा करने के लिए पानी डाला जा सकता है। इससे ज्वालामुखी को फटने से रोका जा सकता है।
ज्वालामुखी के बेस में खुदाई से निकल सकता है समाधान
नासा के जेट प्रपलज़न लैबरेटरी (JPL) के ब्रायन विलकॉक्स ने बताया कि वॉल्केनो में खुदाई करने के बहुत से खतरे हैं। उन्होंने कहा, 'अगर आप मैगमा चैंबर के ऊपर खुदाई करते हैं और उसे वहां से ठंडा करने की कोशिश करते हैं तो यह काफी जोखिम भरा काम हो सकता है। इससे मैग्मा चैंबर के ऊपर का हिस्सा और नाजुक हो सकता है और यह टूट भी सकता है। अगर ऐसा होता है तो ऐसी जहरीली गैस बाहर निकल सकती हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होंगी।'
हो सकते है भूखमरी जैसे हालत पैदा
उन्होंने सुपरवॉल्केनो के खतरे को क्षुद्रग्रह या धूमकेतु के खतरे से भी बड़ा बताया। उन्होंने कहा कि यह सुपरवॉल्केनो में विस्फोट हो जाता है तो इससे धरती पर लंबे समय तक के लिए असर पड़ेगा। ऐसा माना जा रहा है कि इससे दुनियभार में भूखमरी जैसे हालत पैदा हो जाएगे और वातावरण में बड़ी मात्रा में सल्फर ऑक्साइड फैल जाएगा।
यूएस जियलॉजिकल सर्वे की वेबसाइट ने बताया कि येलोस्टोन एक अनुमान के मुताबिक हर 6 लाख साल में एक बार फटता है। आखिरी बार यह लगभग 6 लाख साल पहले ही फटा था। अब नासा ने येलोस्टोन के 10 किलोमीटर इलाके में खुदाई की योजना बनाई है।
बता दें कि धरती पर औसतन 1 लाख साल बाद ज्वालामुखी में ऐसा भयानक विस्फोट होता है। सुपवॉल्केनो में सबसे हाल में हुआ धमाका 27 हजार साल पहले न्यूजीलैंड के नॉर्थ आइलैंड में हुआ था।
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