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New Delhi: देश के चीफ जस्टिस पद की शपथ लेने वाले न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा कई महत्वपूर्ण फैसले देने वाले जज के रूप में जाने जाते हैं। 63 वर्षीय जज मिश्रा 13 महीने, छह दिन तक चीफ जस्टिस पद पर रहेंगे और अक्टूबर 2018 में सेवानिवृत्त होंगे।
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जस्टिस मिश्रा बेहद शिक्षित व्यक्ति माने जाते हैं, खासकर प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथों व साहित्य के विद्वान माने जाते हैं। जस्टिस मिश्रा ने ओडिशा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस के साथ शुरुआत की थी। उन्हें 17 जनवरी, 1996 को ओडिशा हाई कोर्ट का अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया। उन्हें तीन मार्च, 1997 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया। वह 19 दिसंबर, 1997 को स्थायी तौर पर जज बना दिए गए। उन्हें 23 दिसंबर, 2009 को पटना हाई कोर्ट का मुख्य जज नियुक्त किया गया। इसके बाद 24 मई, 2010 को उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट बतौर मुख्य जज स्थानांतरित कर दिया गया।
जज मिश्रा को 10 अक्टूबर, 2010 को सर्वोच्च न्यायालय का जज बनाया गया। चीफ जस्टिस मिश्रा देश के उन जजों में गिने जाते हैं, जिन्हें कानून की बेहद बारीक जानकारियां हैं। अपने एक ऐतिहासिक फैसले में जस्टिस मिश्रा ने एक दुष्कर्म के आरोपी और पीड़िता के बीच समझौते के तौर पर विवाह की बात नकार दी थी।
दिल्ली के बेहद दर्दनाक निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले में चार दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने का फैसला भी जस्टिस मिश्रा ने ही दिया था। उन्होंने अपने फैसले में कहा था, "अगर कोई मामला फांसी की मांग करता है तो तो वह यही मामला है।" सिने कॉस्टूयम एंड मेकअप आर्टिस्ट्स एसोसिएशन द्वारा किसी महिला मेकअप आर्टिस्ट या हेयर ड्रेसर को सदस्य बनाए जाने पर लगाए गए प्रतिबंध को खत्म करने का फैसला देने वाली पीठ के अध्यक्ष जस्टिस मिश्रा ही थे।
जस्टिस मिश्रा सर्वोच्च न्यायालय की उस संविधान पीठ में भी शामिल थे, जिसने फैसला सुनाया था कि आपराधिक मानहानि असंवैधानिक नहीं है। जस्टिस मिश्रा को जिस फैसले ने आम लोगों में मशहूर किया, वह था सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य किए जाने का फैसला। इसके अलावा वह उत्तराखंड में हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के केंद्र सरकार के आदेश को खारिज करने वाली पीठ के भी अध्यक्ष रहे।
जस्टिस मिश्रा को न्यायमूर्ति पी. सी. पंत और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय के साथ बंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में अपराधी याकूब मेमन की मृत्युदंड के खिलाफ आखिरी मिनट में दायर की गई याचिका पर आधी रात को सुनवाई करने के लिए भी याद किया जाएगा। जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ही भारतीय क्रिकेट में सुधारों को लेकर क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के ढांचे व कार्यप्रणाली में बदलाव के मामले की सुनवाई कर रही है।
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