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एक ऐसा भारतीय वैज्ञानिक जिसने 88 साल की उम्र तक की देशसेवा, इनकी वजह से ISRO को मिली नई पहचान

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New Delhi: देश में पिछले पांच दशक से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मशहूर भौतिक शास्त्री प्रोफेसर एमजीके उर्फ एम गोविंद कुमार मेनन का आज जन्मदिन है।

28 अगस्त, 1928 को कर्नाटक के मंगलूर में जन्मे प्रोफेसर मेनन, 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (इसरो) के भूतपूर्व अध्यक्ष और जीवन के अंतिम दिनों में अंतरिक्ष विभाग, इसरो के सलाहकार भी रहे हैं। प्रोफेसर मेनन ने 22 नवम्बर 2016 को इस दुनिया को अलविदा कहा, देहांत हो गया था।

अपने 88 वर्ष का जीवन उन्होंने भारत के विकास में अर्पित करते हुए अनेक उपलब्धियां हांसिल कीं। मेनन जी ने 'जसवंत कॉलेज', जोधपुर, भारत से अपनी विज्ञान स्नातक की शिक्षा 1946 में पूरी की थी। इसके बाद 'रॉयल इन्स्टिट्यूट ऑफ़ साइंस', भारत से ही एम.एस.सी. की डिग्री 1949 में प्राप्त की। 1960 में उन्होंने 'ब्रिस्टोल विश्वविद्यालय', यू.के. से पी.एच.डी किया और फिर 1955 में 'पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च'।

प्रोफ़ेसर मेनन भारत में सभी तीनों विज्ञान अकादमियों के फ़ेलो और प्रत्येक के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज और रॉयल सोसायटी ऑफ लंदन के फेलो भी रहे। पद्म विभूषण सहित पद्म पुरस्कारों के विजेता मेनन ने कॉस्मिक किरणों, आण्विक भौतिकी के क्षेत्र में वैज्ञानिक कार्य किए थे और इस क्षेत्र में शोध में उन्हें विशिष्टता हासिल थी। वह 1972 में भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन के अध्यक्ष रहे और 35 वर्ष की उम्र में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के निदेशक बन गए थे। 

पद्म विभूषण मेनन सिर्फ विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि राजनीति में भी काफी सक्रिय रहे।वे, वीपी सिंह सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्वोगिकी राज्य मंत्री रहे थे वे केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पर्यावरण विभाग के सचिव के पद पर भी रहे। वर्ष 1990-96 तक राज्यसभा के सदस्य रहे मेनन 1986-1989 तक प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और योजना आयाेग के सदस्य भी रहे भौतिकीविद प्रो मेनन 1972 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रमुख थे। वह वर्ष 1989-1990 तक वैज्ञानिक एवं औद्योगिक शोध परिषद के उपप्रमुख रहे।

धारित पद

  • भारत की सभी तीनों विज्ञान अकादमियों के अध्यक्ष
  • टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फंडमेंटल रिसर्च, मुंबई के निदेशक (1966-1975)
  • अध्यक्ष, ऊर्जा के अतिरिक्त स्रोत आयोग
  • 12 वर्षों के लिए भारत सरकार के सचिव (इलेक्ट्रानिक्स, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रक्षा अनुसंधान, पर्यावरण) (1971-1982)
  • भूतपूर्व अध्यक्ष, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (1972)
  • रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (1974-1978)
  • वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महा निदेशक (1978-1981)
  • भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ के अध्यक्ष (1981-1982)
  • अमेरिकी कला और विज्ञान अकादमी और रूसी विज्ञान अकादमी के मानद विदेशी सदस्य
  • इलेक्ट्रिकल और इंजीनियरी इंजीनियर्स संस्थान के मानद सदस्य, पांटिफ़िकल अकाडेमी ऑफ़ साइंसस, रोम के सदस्य (1981)
  • मंत्री-मंडल की विज्ञान सलाहकार समिति के अध्यक्ष (1982-1985)
  • राज्य मंत्री के दर्जे के साथ योजना आयोग के सदस्य (1982-1989)
  • प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार (1986-1989)
  • वैज्ञानिक संगठनों के अंतर्राष्ट्रीय परिषद के अध्यक्ष (1988-1993)
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, साथ ही भारत सरकार के शिक्षा विभाग के लिए भी
  • उपाध्यक्ष, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) (1989-1990)
  • 1990-1996 के दौरान संसद के सदस्य (राज्य सभा)

व्यावसायिक गतिविधि

  • ब्रह्मांडीय किरणें, कण भौतिकी में वैज्ञानिक कार्य
  • ब्रह्मांडी किरणों के अध्ययन के क्षेत्र में अन्वेषण और विशेषकर प्राथमिक कणों की उच्च ऊर्जा परस्पर क्रिया में विशेषज्ञ

पुरस्कार

  • पद्मश्री - 1961
  • पद्मभूषण - 1968
  • पद्मविभूषण - 1985
  • भटनागर पुरस्कार 1960
  • आइएससीए चटर्जी पुरस्कार - 1984
  • ओमप्रकाश भासिन पुरस्कार - 1985
  • शिरोमणि पुरस्कार - 1988
  • मोदी विज्ञान पुरस्कार - 1994
  • अब्बास सलीम पदक - 1996

सम्मान

प्रोफ़ेसर मेनन ने निम्नलिखित विश्वविद्यालयों से डी.एस.सी. (ऑनर्स कॉसा) किया- दिल्ली विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, रूड़की विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, उत्कल विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, उत्तरी बंगाल विश्वविद्यालय, आईआईटी मद्रास और खड्गपुर|

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