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भक्ति का कोई मजहब नहीं: यहां पीर बाबा की मजार में सेवा करता है यह हिन्दू परिवार

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  New Delhi : हिमाचल के कुल्लू जिले में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की एक अनोखी मिसाल पिछले कई सालों से देखने को मिल रही है। देश में जहां कुछ लोग धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर एक-दूसरे को बांटने का प्रयास करते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो समाज में आपसी भाईचारे को बढ़ावा देकर सांप्रदायिक सद्भावना की मिसाल पेश करते हैं। 

एक ऐसी ही हस्ती हैं कुल्लू के सुरेंद्र मेहता उर्फ भाई जी। कुल्लू का एक हिंदू परिवार वर्षों से पीर बाबा की मजार से लोगों की सेवा कर रहा है। मान्यता है कि यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मुराद पूरी होती है। मुरादों के साथ-साथ लोगों में सांप्रदायिक सद्भावना भी बढ़ रही है।

  कुल्लू शहर के अखाड़ा बाजार के रहने वाले सुरेंद्र भाई वर्षों से पुश्तों द्वारा संजोई गई पीर बाबा लाला वाले की मजार की देखरेख कर रहे हैं। शायद ऐसा कोई और उदाहरण प्रदेश में कहीं देखने को मिले। हर वीरवार व रविवार को दोपहर के समय यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है, जो पीर बाबा से अपनी मन्नत पूरी होने की गुहार लगाते हैं। 

मजार की देखरेख में जुटे सुरेंद्र मेहता ने बताया कि उनका परिवार वर्ष 1908 में कुल्लू आया था। उनके दादा की भी इस मजार में काफी श्रद्धा थी और उसके बाद से लेकर आज तक उनका परिवार बाबा का भक्त है। अगर किसी दंपति के संतान नहीं हो रही हो या कोई बीमारी से घिरा हुआ हो तो वह यहां दुआ करने से ठीक हो जाता है। दुआ पूरी होने पर बाबा की मजार में मीठे चालव, चादर व फूलों का सेहरा चढ़ाया जाता है। 

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