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New Delhi: भारत के इंजीनियरों ने नया कमाल करते हुए सेमी हाईस्पीड ट्रेनसेट बनाने का काम तेजी से शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि इस वित्त वर्ष के अंत तक 2 ट्रेनें दौड़नी शुरू हो जाएंगी।
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दरअसल, विदेशी कंपनियों के साथ बात नहीं बनने पर देख रेलवे ने अपने दम पर सेमी हाईस्पीड ट्रेनसेट बनाने का फैसला किया है। चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने इसकी जिम्मेदारी दी गई है। सेमी हाईस्पीड के लिए रेलवे को 160 किलोमीटर से 200 किलोमीटर तक की रफ्तार वाली सेल्फ प्रोपेल्ड बोगियों की जरूरत है। इस तरह की बोगियों को खींचने के लिए इंजन की आवश्यकता नहीं होती। इनमें अपनी स्वयं की मोटर होती है जो बिजली या डी़जल से चलती है। ठीक वैसे जैसे मेमू, डेमू या मेट्रो ट्रेन की बोगियां होती हैं। इन्हें दोनो दिशाओं में तुरंत पूरी रफ्तार पर चलाया जा सकता है। फर्क सिर्फ इतना है कि जहां मेमू, डेमू या मेट्रो की बोगियों का उपयोग छोटी उपनगरीय ट्रेनों के लिए होता है, जिनमें अधिकतम स्पीड सीमित होती है। वहीं ट्रेन सेट्स का उपयोग लंबी दूरी की ट्रेनों में किया जाता है जिनकी रफ्तार राजधानी व शताब्दी ट्रेनों से भी ज्यादा होती है।
ऐसा नहीं है कि भारतीय रेलवे के पास 160 किलोमीटर की स्पीड वाली कोई लंबी दूरी की ट्रेन नहीं है। गतिमान एक्सप्रेस इसी स्पीड पर चलती है। लेकिन इंजन का उपयोग होने के कारण इसे पूरी रफ्तार पकड़ने और रुकने में समय लगता है। इससे समय की काफी बर्बादी होती है। जबकि लंबी दूरी की ट्रेनों में समय की यह बर्बादी घंटों का फर्क पैदा कर देती है। गतिमान एक्सप्रेस में यदि इन ट्रेन सेट्स का प्रयोग किया जाए तो दिल्ली से आगरा की दूरी 20 मिनट पहले पूरी हो सकती है। यदि इसे दिल्ली से मुंबई या दिल्ली से कोलकाता के बीच चलाया जाए तो डेढ़ घंटे से ज्यादा की बचत हो सकती है।
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