New Delhi:
यह घटना बेंगलुरु की है जहां से एक लड़के न कुछ ऐसा कर दिखाया है जो बड़े बड़े इंजीनियर भी नहीं कर पाते हैं। ड्रोन से डिलिवरी को लेकर भारत के साथ कई देश बड़े-बड़े दावे कर रहा है लेकिन फिलहाल इसका कोई असर होता हुआ नहीं दिख रहा है। हालांकि, इस दिशा में काम करने वाले लोगों के जोश में कोई कमी नहीं आई है। ऑर्गन, न्यूजपेपर और छोटे-छोटे पैकेटों की ड्रोन से डिलिवरी का काम आसान कर सकने वाले ड्रोन्स बनाए जा रहे हैं।
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बेंगलुरु की क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में बीएससी के छात्र रोहित डे ने पिछले कई वर्षं में कई ड्रोन बनाए हैं। उनके बनाए ड्रोनों का इस्तेमाल सर्विलांस, एरियल फटॉग्रफी और फसल की मॉनिटरिंग का काम कर सकते हैं। डे का सिस्टम डिलिवरी ड्रोन का भी काम कर सकता है।
छात्र ने अपने ड्रोन को नयन नाम दिया है, जो 2.6 किलोग्राम वजन का है और 30 मिनट तक काम कर सकता है। रोहित ने बताया, 'नयन इन्वर्टेड रोटर कॉन्सेप्ट के आधार पर काम करता है और इसे स्मार्टफोन से कंट्रोल किया जा सकता है।' डे ने पहले ही एक ड्रोन बनाया था जो मराठहल्ली के अपार्टमेंट में रहने वालों के दरवाजों पर न्यूजपेपर डालता था। रोहित ने एक साल पहले यह प्रयोग के तौर पर किया था, लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं थे। अब रोहित को लगता है कि नयन अब यह काम और अच्छी तरह से कर पाएगा।
जब उनसे पूछा गया कि ड्रोन न्यूजपेपर पहुंचाने का काम कैसे करता है तो वह बोले, 'ऑपरेटर को गूगल मैप्स के जरिए लोकेशन और लेआउट दे दिया जाता है और बाकी का डेटा यूएवी में सेव कर दिया जाता है। इसके बाद सिस्टमैटिक ढंग से ऑपरेटर न्यूजपेपर या पैकेट डिलिवर कर देता है।'
उन्होंने बताया कि न्यूजपेपर्स की गड्डी को ड्रोन के अंदर बने चैंबर में रखा जा सकता है, जहां से उन्हें एक-एक करके गिराया जा फेंका जा सकता है।
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