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ये हैं तीन तलाक पर ऐतिहासिक फैसला देने वाले 5 धर्मों के 5 जज, जानिए इनकी खूबियां

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New Delhi: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने मिलकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में तीन तलाक पर कानून बनने तक रोक लगा दी गई है। संविधान खंड ने 1400 साल पुरानी प्रथा को चुनौती देने वाली सात याचिकाओं पर फैसला सुना दिया है। 

इस मामले में सबसे खास बात यह है कि पांच अलग मजहबों के पांच जजों की संविधान पीठ इस केस की सुनवाई के लिए गठित की गई थी।  

इस खंड पीठ में सभी धर्मों के जस्टिस शामिल हैं जिनमें चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख), जस्टिस कुरियन जोसफ (क्रिश्चिएन), जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन (पारसी), जस्टिस यूयू ललित (हिंदू) और जस्टिस अब्दुल नजीर (मुस्लिम) शामिल हैं। 

पांच में से तीन जजों जस्टिस कुरियन जोसफ, जस्टिस नरीमन और जस्टिस यूयू ललित ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया। तीनों ने जस्टिस नजीर और सीजेआई खेहर की राय का विरोध किया। तीनों जजों ने तीन तलाक को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार दिया। जजों ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है। इस फैसले का मतलब यह है कि कोर्ट की तरफ से इस व्यवस्था को बहुमत के साथ खारिज किया गया है। 

चलिए आपको उन पांच जजों के बारे में बताते हैं जिन्होंने तीन तलाक पर अपना अहम फैसला सुनाया है। 

1. जस्टिस जगदीश सिंह खेहर (सिख)

जस्टिस खेहर सिख समुदाय से ताल्‍लुक रखते हैं। देश के 44वें चीफ जस्टिस है। खेहर 2011 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे और इसी 27 अगस्‍त को रिटायर होने वाले हैं।

2. जस्टिस कुरियन जोसफ (क्रिश्चिएन)

जस्टिल कुरियन जोसफ केरल से ताल्‍लुक रखते हैं। 1979 में केरल हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। 2000 में केरल हाई कोर्ट के जज बने। इस हाई कोर्ट में दो बार कार्यकारी चीफ जस्टिस बने। 2010-13 के दौरान हिमाचल प्रदेश के चीफ जस्टिस रहे। आठ मार्च, 2013 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने और अगले साल 29 नवंबर को रिटायर होंगे।

3. रोहिंग्‍टन फली नरीमन (पारसी)

1956 में जन्‍मे नरीमन महज 37 साल की उम्र में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर काउंसल बने। हालांकि उस वक्‍त इस पद के लिए कम से कम 45 साल की उम्र का होना जरूरी था लेकिन जस्टिस वेंकटचेलैया ने फरीमन के लिए नियमों में संशोधन किया। पश्चिमी शास्‍त्रीय संगीत में रुचि और इसके गहन जानकार हैं। प्रकृति प्रेमी हैं।

  4.जस्टिस उदय उमेश ललित (हिंदू)

1957 में जन्‍मे जस्टिस ललित ने 1983 में बांबे हाई कोर्ट से वकालत शुरू की। अप्रैल, 2004 में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट बने। 2जी मामले में सीबीआई की तरफ से विशेष अभियोजक रहे। 2014 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने। 2022 में रिटायर होंगे।

5. जस्टिस एस अब्‍दुल नजीर (मुस्लिम)

1958 में जन्‍में  जस्टिस नजीर ने 1983 में कर्नाटक हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। 2003 में कर्नाटक हाई कोर्ट के अतिरिक्‍त जज बने और उसके अगले ही साल स्‍थायी जज बने। इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्‍त हुए।

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