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New Delhi: अभी अभी तीन तलाक के खत्म होने पर PM मोदी का एक बड़ा बयान सामने आया है। पीएम मोदी ने मुस्लिम महिलाओं को मिली सबसे बड़ी आजादी की बधाई दी है। इतना ही नहीं मोदी ने तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक फैसला बताया है। मोदी का कहना है कि तीन तलाक पर रोक महिला सशक्तिकरण की ओर एक बड़ा कदम है।
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सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक खत्म कर मुस्लिम महिलाओं को सबसे बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम महिलाओं ने 5 मजहबों के जजों को धन्यवाद देते हुए हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। इतना ही नहीं महिलाओं ने तीन तलाक खत्म होने पर आरती भी की। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए तलाक-ए बिद्दत को खत्म कर दिया है। यानी कोई भी मुस्लिम शख्स एक साथ तीन बार तलाक बोलकर अपनी बीवी को तलाक नहीं दे पाएगा। पांच जजों की संवैधानिक पीठ के तीन जजों ने ये फैसला दिया। जबकि बाकी दो जजों ने केंद्र सरकार से कानून बनाने की बात कहते हुए, कानून बनने तक ट्रिपल तलाक पर रोक का आदेश दिया था।
कोर्ट ने मुस्लिमों में तलाक की इस प्रथा को अमान्य, अवैध और असंवैधानिक करार दिया। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 3:2 के मत से ये फैसला सुनाया। फैसले में तीन तलाक को कुरान के मूल तत्व के खिलाफ बताया गया। बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मुस्लिम महिलाओं के लिए एक नए युग की शुरुआत बताया है। उन्होंने ये भी कहा है कि आज से मुस्लिम महिलाएं आजाद हैं। आज आजादी का दिन है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब मुस्लिम महिलाओं को आत्मविश्वास से जीने का अधिकार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर अगले छह महीने तक के लिए रोक लगा दी है। यानी संसद जब तक इस पर कानून नहीं लाती तब तक ट्रिपल तलाक पर रोक रहेगी। कोर्ट के इस फैसले के बाद मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति से मिली है। फैसले के तुरंत बाद ही महिलाओं ने एक दूसरों को मिठाईयां खिलाकर बधाईयां दीं।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को संसद में इसे लेकर कानून बनाने के लिए कहा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय में शादी तोड़ने के लिए यह सबसे खराब तरीका है। ये गैर-ज़रूरी है। सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि कैसे कोई पापी प्रथा आस्था का विषय हो सकती है। दरअसल, शायरा बानो ने तीन तलाक के खिलाफ कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी। इस पर शायरा का तर्क था कि तीन तलाक न तो इस्लाम का हिस्सा है और न ही आस्था।
उन्होंने कहा कि उनकी आस्था ये है कि तीन तलाक मेरे और ईश्वर के बीच में पाप है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी कहता है कि ये बुरा है, पाप है और अवांछनीय है। कोर्ट के इस फैसले पर मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि आज उन्हें सबसे बड़े दर्द से आजादी मिली है। इस खंड पीठ में सभी धर्मों के जस्टिस शामिल हैं जिनमें चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख), जस्टिस कुरियन जोसफ (क्रिश्चिएन), जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन (पारसी), जस्टिस यूयू ललित (हिंदू) और जस्टिस अब्दुल नजीर (मुस्लिम) शामिल हैं। जानकारी के लिए बता दें कि 5 में से 3 जज ने इसे असंवैधानिक करार दिया है।
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