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New Delhi: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के स्तर को सुधारने के बारे में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कई राज्यों में स्कूली शिक्षा के स्तर में गिरावट पर अफसोस जताया।
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उन्होंने कहा कि बदकिस्मती से कई राज्यों में सरकारी स्कूल 'मिड डे मील स्कूल' बन गए हैं, क्योंकि वहां 'आना, खाना, जाना' की परंपरा बनी हुई है। जावड़ेकर ने कहा कि हम सरकारी स्कूलों में सभी स्तरों पर शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है। आम आदमी के साथ तभी इंसाफ होगा।
केरल में कोच्चि के पास अलुवा में केंद्रीय विद्यालय संगठन में 'स्वस्थ बच्चे, स्वस्थ भारत' शारीरिक स्वास्थ्य एवं तंदुरूस्ती प्रोफाइल कार्ड शुरू करते हुए उन्होंने कहा, 'नरेंद्र मोदी सरकार का मुख्य लक्ष्य सबको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराना है। जावड़ेकर ने यह भी कहा कि केंद्रीय विद्यालयों तथा नवोदय विद्यालयों की शिक्षा देश में सर्वश्रेष्ठ है।
उन्होंने देश भर के सरकारी स्कूलों में एक स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण के लिए मंत्रालय द्वारा किए गए उपायों की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने इस साल देश के सभी स्कूलों में बच्चों की 'पढ़ाई के नतीजे' हासिल करने के लिए कदम उठाए हैं। सितंबर में सभी शिक्षकों को शिक्षण नतीजे की पुस्तिका मिलेगी, जिससे उन्हें बच्चों की योग्यता सुधारने में मदद मिलेगी।
जावड़ेकर ने कहा, 'बच्चे स्कूल से क्या हासिल कर रहे हैं, यह मूल्यांकन का बिंदु होना चाहिए और शिक्षण के नतीजे से शिक्षक एवं अभिभावक छात्रों की न्यूनतम योग्यता, उसकी उपलब्धियों को समझ पाएंगे।' उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों सहित हर किसी को शिक्षण नतीजे के जरिये जवाबदेह बनाना चाहती है। उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार ने शिक्षकों को उनके क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ बनाने के उद्देश्य से उनके लिए 'प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा' पाठ्यक्रम शुरू किया है।
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