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New Delhi : अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक भूटान ने अपने पड़ोसी तिब्बत पर चीन का कब्जा होते देखा है, इसलिए वह डोकलाम मामले में शुरू से भारत के साथ है।
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NYT में छपे आर्टिकल में ये भी कहा गया है कि डोकलाम के पठार को लेकर जारी इस गतिरोध का कारण चीन का अतिक्रमण है। बीजिंग किसी भी तरह भारत और भूटान की दोस्ती में खलल पैदा करना चाहता है, लेकिन फिलहाल उसकी कोई साजिश वहां कामयाब होते नहीं दिखती, क्योंकि भूटान भारत के साथ खड़ा है। चीन 1998 से लगातार भूटान के साथ किसी न किसी तरह का रिश्ता जोड़ने की कोशिशें कर रहा है। लेकिन बीते 19 साल में भूटान को लुभाने की उसकी हर कोशिश नाकाम रही है।
न्यूयॉर्क टाइम्स में ये आर्टिकल Squeezed by an India-China Standoff, Bhutan Holds Its Breath टाइटल से पब्लिश हुआ है। इसे स्टीवन ली मेयर्स ने लिखा है, ''भारत के लिए भूटान स्ट्रैटजिक तौर पर अहम है, तो भूटान के लिए भारत एक जरूरत की तरह है। भूटान बिल्कुल नहीं चाहता कि वह अगला तिब्बत बने, इसलिए उसका रुख हमेशा भारत के पक्ष में रहा है। वहां भारतीय सेना की तैनाती उसे चीन से सुरक्षा का अहसास कराती है।''
बता दें कि सिक्किम सेक्टर के डोकलाम एरिया में भूटान ट्राइजंक्शन के पास चीन एक सड़क बनाना चाहता है। भारत और भूटान इसका विरोध कर रहे हैं। करीब 3 महीने से इस इलाके में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं।
आर्टिकल में कहा गया है कि भारतीय सेना ने पिछले कई दशकों से भूटान के 'हा' कस्बे में अपनी मिलिट्री एकेडमी बना रखी है। वहां सैनिकों को ट्रेनिंग भी दी जाती है और अच्छी खासी आर्टिलरी भी वहां मौजूद है। हा कस्बा भूटान-चीन के विवादित बॉर्डर एरिया से सिर्फ 21 km दूर है। "एकेडमी के अलावा वहां सैन्य अस्पताल, गोल्फ कोर्स भी हैं।
इन सबसे पता चलता है कि इंडियन मिलिट्री हिमालय की वादियों में बसे भूटान को किस तरह सुरक्षा कवच देती है। जून में विवादित बॉर्डर एरिया में जब चीनी सैनिक सड़क बना रहे थे, तब भारतीय सैनिकों ने ही उनका काम रुकवाया था। तब से 50 दिन से अधिक बीत चुके हैं, दोनों देशों के सैनिक वहां आमने-सामने तैनात हैं। इस विवाद का एक पक्ष भूटान की सोवेरिनटी (सम्प्रभुता) सुरक्षित बनाए रखना भी है।"
आर्टिकल के मुताबिक, एक तरफ अमेरिक और उत्तर कोरिया के बीच जंग की बातें हो रही हैं, तो दूसरी तरफ सबसे ज्यादा आबादी वाले चीन और भारत के बीच संघर्ष के हालात दिख रहे हैं। दोनों देशों के बीच 1962 में सीमा विवाद के कारण जंग हो चुकी है। आज की स्थिति में एक तरफ बहुत ज्यादा महात्वाकांक्षा है, तो दूसरी तरह बहुत ज्यादा राष्ट्रवाद। इनके कारण संघर्ष भी छिड़ सकता है।
"भारत और भूटान के दोस्ताना संबंध दशकों पुराने और घनिष्ठ हैं। भारत की मौजदूगी वहां काफी मजबूत है और वह उसे बनाए रखना चाहता है। भारत नहीं चाहता कि चीन इस छोटे-से देश में अपने कदम बढ़ाकर प्रभाव जमाने की कोशिश करे। मुख्य रूप से परमाणु संपन्न दोनों देशों के बीच यह गतिरोध भूटान से लगे क्षेत्र के प्रभुत्व का है। यह ऐसे देश की बात है, जिसकी आबादी करीब 8 लाख है और उसकी समृद्धि 'ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस' के फॉर्मूले से मापी जाती है।"
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