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New Delhi: चीन से गहराए तनाव के बीच सरकार ने सीमाओं पर सड़कें बनाने के काम में तेजी लाने का फैसला किया है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने बॉर्डर रोड्स आर्गनाइजेशन (बीआरओ) के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार बढ़ा दिए हैं। रक्षा मंत्रालय के तहत बीआरओ 2015 से सीमावर्ती इलाकों में दुर्गम जगहों को सड़क से जोड़ने के काम में जुटा हुआ है। मंत्रालय ने फैसला किया है कि वह सशस्त्र बलों के साथ मिलकर बीआरओ के लिए प्राथमिकता के तहत प्लान तैयार करेगा। डिटेल प्रॉजेक्ट रिपोर्ट के आधार पर काम होगा। साथ ही जिम्मेदारी तय करने के लिए काम की प्रगति पर ऑनलाइन नजर रखी जाएगी।
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डोकलाम में चीन से तनाव के बीच सीमावर्ती सड़कों की हालत खराब होने की रिपोर्ट आई हैं। कई प्रॉजेक्ट काफी लेट हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत-चीन सीमा के पास जिन 73 सड़कों की पहचान की गई थी, उनमें से सिर्फ 27 पूरे हो सके हैं, जबकि बाकी 2022 तक पूरे हो सकेंगे। पहले इनके 2012 तक पूरा होने का अनुमान था। इन 73 में से 61 सड़कों को बनाने का जिम्मा बीआरओ को मिला है। मंत्रालय को उम्मीद है कि अधिकार बढ़ाने से काम में तेजी आएगी।
बीआरओ को अब तक जो अधिकार दिए गए थे, उसके मुताबिक चीफ इंजिनियर 10 करोड़ और एडीजी 20 करोड़ रुपये तक के विभागीय कार्य को प्रशासनिक मंजूरी दे सकता है। अनुबंध के आधार पर होने वाले कामों के लिए डीजी की मंजूरी जरूरी थी, जो 50 करोड़ रुपए तक के काम को प्रशासनिक मंजूरी दे सकता था।
अब काम चाहे विभागीय स्तर का हो या अनुबंध के आधार पर, चीफ इंजिनियर को 50 करोड़ रुपये जबकि एडीजी को 75 करोड़ रुपए और डीजी को 100 करोड़ रुपए तक के काम को प्रशासनिक मंजूरी देने का अधिकार होगा। अब चीफ इंजिनियर को 10 की जगह 100 करोड़ और एडीजी को 20 की जगह 300 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट पर अमल मंजूर करने का अधिकार होगा। 2 करोड़ रुपये तक की आउटसोर्सिंग चीफ इंजिनियर को, जबकि 2 से 5 करोड़ रुपये तक एडीजी को और उससे ज्यादा का अधिकार डीजी को होगा।
बीआरओ में पुराने उपकरण हटाकर नए लाने की भी जरूरत महसूस की जाती है। अब डीजी 100 करोड़ रुपये के स्वदेशी या आयातित उपकरण मंगा सकते हैं। वह पहले 7.5 करोड़ रुपये के स्वदेशी जबकि 3 करोड़ रुपये के विदेशी उपकरण मंगा सकते थे बाकी की मंजूरी रक्षा मंत्रालय देता था।
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