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दुनियाभर के साइंटिस्ट हुए फेल, भारतीय वैज्ञानिकों ने पौधे से तैयार कर डाली कैंसर की 2 दवाएं

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 New Delhi : दुनियाभर में भारतीय वैज्ञानिक देश का नाम रोशन कर रहे हैं। इसी कड़ी में भारतीय वैज्ञानिकों ने लाइलाज कैंसर की दो दवाएं विकसित कर दी हैं।

 

सबसे खास बात यह है कि इन दवाओं को रामपत्री पौधे से तैयार किया गया है। इनसे कैंसर की गांठ को नष्ट करना और रेडिएशन के कारण क्षतिग्रस्त हुई कोशिकाओं को ठीक करना संभव होगा। आपको बता दें कि रामपत्री पौधा मसाले के रूप में इस्तेमाल होता है। देश के पश्चिम तटीय क्षेत्र में पाया जाने वाला यह पौधा मिरिस्टिकाकी प्रजाति का है। 

 

 मुंबई स्थित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) के वैज्ञानिक डॉ. बी. शंकर पात्रो ने रामपत्री से दवाएं विकसित की हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि चूहों पर परीक्षण के दौरान इन दवाओं को फेफड़े के कैंसर और न्यूरोब्लास्टोमा जैसे दुर्लभ कैंसर पर असरदार पाया गया है। न्यूरोब्लास्टोमा ऐसा कैंसर है जिसमें वृक्क ग्रंथियों, गर्दन, सीने और रीढ़ की नर्व कोशिकाओं में कैंसर कोशिकाएं पनपने लगती हैं।

बार्क के बायोसाइंस विभाग के प्रमुख एस. चट्टोपाध्याय ने बताया कि वैज्ञानिक पौधों से कैंसर की दवाएं विकसित करने के लिए कई वर्षो से शोध कर रहे हैं। इसी दिशा में रेडियो मोडिफायर और रेडियो प्रोटेक्टर के नाम से इन दोनों दवाओं को विकसित किया गया है। दोनों दवाओं का पूर्व परीक्षण किया जा चुका है और सरकार से मनुष्यों पर दवा के परीक्षण की अनुमति मांगी गई है। इनके पेटेंट के लिए भी आवेदन किया गया है और जल्द ही पेटेंट मिलने की उम्मीद है।

इस साल जून से मुंबई में टाटा मेमोरियल सेंटर रेडियो मोडिफायर दवा का क्लीनिकल परीक्षण शुरू कर सकता है। वैज्ञानिक संतोष कुमार संदुर ने बताया कि रेडियो मोडिफायर दवा किसी रेडिएशन थेरेपी के दौरान स्वस्थ कोशिकाओं की रक्षा करती है। किसी परमाणु दुर्घटना के चार घंटे के अंदर अगर यह दवा दी जाए तो प्रभावित व्यक्ति को बचाया जा सकता है।

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