New Delhi: क्या कोई राज्य अपना अलग झंडा बना सकता है ? राज्य सरकार ने उक्त मामले के लिए एक कमेटी का गठन किया है।
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कन्नड़-कल्चर विभाग की तरफ से 10 जुलाई को 9 सदस्यों का एक पैनल गठित किया गया है, जो राज्य के अपने अलग झंडे का डिजाइन तैयार करेगा और राज्य के अलग झंडे के संवैधानिक अधिकार मामले को भी परखेगा । राज्य में कई संगठनों के कार्यकर्ता आधिकारिक तौर पर एक अलग झंडे की मांग कर रहे थे ।
आपको बता दें कि कर्नाटक में पहले से ही एक अनाधिकृत तौर पर पीले और लाल रंग का झंडा है, गठित की गई कमेटी यह देखेगी कि राज्य के अपने अलग झंडे को लेकर क्या संवैधानिक नियम तो बाधा नहीं बनेगे ? और साथ ही साथ कमेटी झंडे के रंग और साइज को लेकर भी विचार करेगी ।
राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा- कि आगामी विधानसभा चुनावों से इस मामले का कोई लेना-देना नहीं है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि क्या संविधान में कोई प्रावधान है जो राज्य को ध्वज रखने से रोकता है?
ANI के सवाल के जवाब में कर्नाटक सीएम ने कहा- कि वे इस चुनाव में ऐसा कुछ भी करने नहीं जा रहे है, लेकिन अगर बीजेपी इसका विरोध करती है, तो वह कह सकते है कि बीजेपी राज्य ध्वज के खिलाफ है ।
जबकि वहीं दूसरी और कर्नाटक के कांग्रेस प्रभारी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल का कहना है कि देश में सिर्फ एक ध्वज है, और वो राष्ट्रीय ध्वज है, उक्त मामले को लेकर मैं राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मागूंगा
राज्य में अलग झंडे के उठ रहे विवाद को लेकर अगर अतीत की बात करें तो आपको बता दें... कि 2012 में बीएस येदियुरप्पा की नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के तहत एक अनौपचारिक राज्य ध्वज का उपयोग करना शुरू किया गया जबकि सरकार की तरफ से इसके उपयोग को अधिकृत करने के बाद ही पहली बार 1 नवंबर को राज्य गठन के अवसर पर इसका प्रयोग किया गया था, हालांकि कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद सरकार ने इसके उपयोग के लिए अनुमति देने वाली अधिसूचना को वापस ले लिया था।
अगर राज्य में अलग झंडे का उपयोग किया जाता है तो जम्मू-कश्मीर के बाद कर्नाटक देश में दूसरा ऐसा राज्य होगा, जिसका अपना अलग एक ध्वज होगा । जम्मू-कश्मीर का मामला अलग है क्योंकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत राज्य को विशेष दर्जा मिला हुआ है
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