New Delhi : क्रिकेट की दुनिया में कुछ किस्से आज भी बेहद चर्चित है। जैसे वर्ल्ड कप में पाकिस्तान कभी भी भारत के खिलाफ कोई मैच नहीं जीत पाया है।
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इसी तरह से यह भी कहा जाता है कि जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने जर्मनी की क्रिकेट टीम के सभी खिलाड़ियों की हत्या करवा दी थी। इसलिए जर्मनी में नाजी काल के दौरान कोई क्रिकेट टीम नहीं बनी। भले ही बातों में कोई प्रमाणिकता न हो। लेकिन आज भी क्रिकेट की दुनिया में ये किस्से आम है। इन्हीं किस्सों में एक किस्सा यह भी है कि बहुत वर्ष पहले क्रिकेट की शुरुआत में एक टीम ने मात्र एक गेंद में ही 286 रन बना लिए थे। इतना ही नहीं एक गेंद के बाद अपनी पारी भी घोषित कर दी और मैच भी जीत लिया। आइए जानते इस गजब के किस्से के बारे में।
यह घटना है इंग्लैंड की धरती में खेले गए एक मैच की। ‘पॉल मॉल गजट पत्रिका’ में छपे एक लेख के मुताबिक, 1894 में इंग्लैंड के विक्टोरिया शहर और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के बीच एक मैच खेला गया। विक्टोरिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी। विक्टोरिया के सलामी बल्लेबाज ने पहली ही गेंद को मैदान के पार मारा और गेंद संयोग से मैदान के बाहर ही लगे पेड़ पर लटक गई। गेंद पेड़ की शाखाओं पर अटक गई और बल्लेबाजों ने क्रीज पर दौड़ लगाना शुरू किया। वे दौड़ते रहे, लेकिन फील्डर को गेंद नहीं मिली। वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम परेशान हो गई। इत्तेफाक से पेड़ बहुत ऊंचा था और उस पर चढ़ना मुमकिन नहीं था। इस तरह काफी देर तक वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया की टीम बॉल को नीचे लाने का असफल प्रयास करती रही।
जब वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम बॉल को निकाल पाने में कामयाब नहीं हो पाई तो अंपायर के कहने पर पेड़ को काटने का प्रबंध किया गया। एक फील्डर ने मजदूर को बुलाया। मजदूर ने कुल्हाड़ी से पेड़ को काटना शुरू किया, उधर इस दौरान क्रीज पर बल्लेबाजों का रन बनाने का सिलसिला जारी था। काफी देर और कड़ी मशक्कत के बाद मजदूर ने कुल्हाड़ी से पेड़ को काट दिया और इस तरह बॉल फील्डर को मिली।
लेकिन जब तक फील्डर गेंद को स्टंप्स तक पहुंचा पाता, बल्लेबाज 286 रन बना चुके थे। गेंद मिल जाने के बाद विक्टोरिया टीम ने अपनी पारी घोषित कर दी। जिसके बाद स्कारटेक के खिलाड़ी बल्लेबाजी करने उतरे। लेकिन विक्टोरिया टीम के 286 रनों को लक्ष्य को वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया हासिल नहीं कर सकी और मैच हार गई। इस क्रिकेट मैच का कोई आधिकारिक प्रमाण नहीं है। लेकिन इंग्लैंड में अभी भी यह किस्सा आम है।
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