New Delhi : बिलासपुर से 25 किलो मीटर दूर रतनपुर में स्थित आदि शक्ति मां महामाया देवी का मंदिर देश के 51 शक्ति पीठों में एक है। इस मंदिर को लेकर कई किवदंतियां प्रचलित हैं।
Related Articles
कहा जाता है कि 1045 ईस्वी में राजादेव रत्नदेव प्रथम मणिपुर नामक गांव में रात्रि के समय एक वट वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे। अर्धरात्रि में आंख खुली तो वट वृक्ष के नीचे अलौकिक प्रकाश देखकर चमत्कृत हो गए। वहां आदिशक्ति मां महामाया की सभा हो रही थी। इतना देख राजा बेसुध हो गए।
सुबह अपनी राजधानी रतनपुर को राजधानी बनाने का निर्णय लिया। 1050 ईस्वी में उन्होंने मां महामाया मंदिर का निर्माण कराया। एक मान्यता यह भी है कि सती की मृत्यु से व्यथित भगवान शंकर उनके मृत शरीर को लेर तांडव करते हुए ब्रह्मांड में भटकते रहे। इस समय जहां-जहां माता के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ बन गए।
महामाया मंदिर में माता का दाहिना स्कंध गिरा था। भगवान शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर उसे कौमारी शक्तिपीठ नाम दिया था।कहा जाता है कि यहां दर्शन करने से कुंवारी लड़कियों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
This post first appeared on विराट कोहली ने शहीदों के नाम की जीत, please read the originial post: here