New Delhi: रामायण में भगवान राम के बाद उनके भक्त हनुमान का जिक्र सबसे ज्यादा है। जिस देश में हनुमान के असंख्य मंदिर हैं। इसी देश में एक ऐसा गांव भी है जहां हनुमान की मूर्ति या फोटो तो दूर पूजा करना भी पाप है।
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उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ प्रखण्ड में द्रोणागिरि गांव आता है। यह गांव लगभग 14000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस गांव के लोग सदियों से हनुमान से रुष्ट हैं। यहां हनुमान की पूजा करना पाप माना जाता है।
इस गांव वालों की नाराजगी इस बात पर है कि हनुमान ने संजीवनी बूटी के लिए उस द्रोणगिरि पर्वत की दाहिनी भुजा (या हिस्सा) उखाड़कर उसे खंडित कर दिया, जिसे वे पूरी आस्था से पूजते हैं।
आज भी गांव में परंपरागत जागर महोत्सव के दौरान जब देवप्रभात (द्रोणगिरि पर्वत को गांव वाले इसी रूप में पूजते हैं) किसी पश्वा (भाव लेने वाला पुरुष) के शरीर में आभासित होते हैं, तो उसका दाहिना हाथ बेजान हो जाता है. वह तब तक बेजान रहता है, जब तक देवप्रभात उसका शरीर छोड़कर चले नहीं जाते।
यह प्रतीकात्मक प्रमाण है, इस बात का कि द्रोणगिरी पर्वत के अंग आज तक भंग हैं और इसकी रखवाली तथा देखरेख करने वाले इस गांव के लोग अब तक इस नुकसान की भरपाई न कर पाने के अहसास से ग्रस्त और त्रस्त हैं।
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