New Delhi: दुनिया में 7 अजूबे हैं, ये बात तो आपने जरूर से जरूर सुनी होगी। भारत का ताजमहल भी इन 7 अजूबों की लिस्ट में है। लेकिन क्या आपको पता है दुनिया के आठवें अजूबे की खोज हो गई है।
Related Articles
शोधकर्ताओं के एक हाथ बड़ी कामयाबी लगी है। 19वीं शताब्दी में खो चुकी ये जगह एक बार फिर लोगों के सामने आएगी। न्यूजीलैंड के उत्तरी द्वीप पर स्थित रोटोमेहाना झील की गुलाबी और सफेद सीढ़ियां 19वीं सदी में पर्यटकों के बीच बड़ा आकर्षण थीं। लोग दूर-दूर से उन्हें यहां देखने आया करते थे। ये सीढ़ीनुमा आकृतियां प्राकृतिक थीं। माना जाता था कि ये सीढ़ियां धरती पर सिलिका (एक किस्म का पत्थर) और धातु की तलछट (सिंटर) का सबसे बड़ा भंडार हैं। 1886 में यहां एक ज्वालामुखी विस्फोट हुआ। लोगों को लगा कि ये सीढ़ियां इसी विस्फोट में बर्बाद हो गईं। उसके बाद ये सीढ़ियां किसी को नहीं दिखीं। किसी भी सरकारी सर्वे में इसे दर्ज नहीं किया गया। यह भी पता नहीं था कि ये सीढ़ियां किस अक्षांश या देशांतर रेखा पर स्थित हैं।
साल 2010 में इस मामले में एक दिलचस्प मोड़ आया। स्विट्जरलैंड के एक संग्रह में एक भूविज्ञानी की कई ऐसी डायरियां मिलीं, जो बहुत पहले खो गई थीं। इस डायरी की मदद से शोधकर्ताओं को रोटेमेहाना झील की विश्व-विख्यात सीढ़ियों के ठिकाने का अनुमान लगाने में सहायता मिली। इन सीढ़ियों को तलाश करने की मुहिम में जुटे एक शोधकर्ता रेक्स बन ने 'एसएस टाइम्स' को बताया, 'हमने पिछले 12 महीनों में करीब 2,500 घंटे का शोध किया है। हमें यकीन है कि हमने इन सीढ़ियों की जगह का पता लगा लिया है। हमें भरोसा है कि पिछले 130 सालों से इन सीढ़ियों की खोज में जुटे किसी भी अन्य इंसान के मुकाबले हम इसे खोज निकालने के सबसे ज्यादा करीब हैं।'
जिस डायरी की मदद से यह संभव हो पाया है, वह डायरी डॉक्टर सासचा नोल्डेन को स्विट्जरलैंड के बाल शहर में मिली थी। यह डायरी जाने-माने भूविज्ञानी डॉक्टर फरडिनेंड वोन हॉसटरर की थी। न्यूजीलैंड सरकार ने 1859 में डॉक्टर हॉस्टरर को अपने द्वीपों का सर्वे करने की जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने रोटेमेहाना झील की इन सीढ़ियों को भी रेकॉर्ड किया।
2,000 एकड़ इलाके में फैली इस झील का आधिकारिक तौर पर कभी सर्वे नहीं हुआ और फिर 27 साल बाद इसी जगह के पास स्थित माउंट टराउरा ज्वालामुखी में विस्फोट होने के बाद इस पूरे इलाके का नक्शा बिल्कुल बदल गया। डॉक्टर हॉसटरर की डायरी मिलने के बाद शोधकर्ताओं ने कई भूवैज्ञानिक तरीकों के इस्तेमाल से डायरी में दी गई जानकारियों की गणना की। शोधकर्ताओं का मानना है कि ज्वालामुखी विस्फोट के कारण रोटेमेहाना झील की सीढ़ियां राख से ढक गईं और ये सीढ़ियां झील के नजदीक की जमीन में सतह से करीब 10 मीटर की गहराई में स्थित हैं।
आमतौर पर यह माना जाता रहा है कि ज्वालामुखी विस्फोट के कारण दुनिया का 8वां अजूबा मानी जाने वाली ये सीढ़ियां नष्ट हो गईं। लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि ये सीढ़ियां अब भी सही-सलामत हैं।
शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि इन्हें फिर से खोज निकाला जा सकता है। बन ने कहा, 'पहले की तरह पूरे का पूरा तो शायद नहीं, लेकिन वे गुलाबी और सफेद सीढ़ियां एक हद तक फिर से लौटाई जा सकती हैं। जिस तरह 19वीं सदी में ये सीढ़ियां यहां आने वाले लोगों को हैरान करती थीं, वैसा दोबारा मुमकिन हो सकता है।' शोधकर्ताओं ने बताया कि स्थानीय जनजाति भी इन सीढ़ियों को दोबारा खोज निकालने के प्रयास में साथ दे रही है। शोधकर्ता जल्द ही यहां की खुदाई शुरू करने जा रहे हैं।
This post first appeared on विराट कोहली ने शहीदों के नाम की जीत, please read the originial post: here