New Delhi: भारतीय टीम के हेड कोच की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं रवि शास्त्री, लेकिन पिछले वर्ष से एक सवाल उठता आ रहा है कि उन्हें पहले इस पद की जिम्मेदारी से मुक्त करना सही कदम था।
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क्रिकेट सलाहकार समिति की सदस्य सौरव गांगुली तब रवि शास्त्री के इंटरव्यू में शामिल नहीं हुए थे और उनकी जगह कुंबले को नियुक्त किया था। तब यह संदेह किया जा रहा था कि काम करने वाले कुंबले क्या शास्त्री जैसे कोहली के साथ साझेदारी निभा पाएंगे।
रवि शास्त्री और अनिल कुंबले के साथ काम कर चुके भारतीय टीम के फील्डिंग कोच आर श्रीधर ने दोनों के बीच का फर्क बताया है। श्रीधर ने कहा, 'शास्त्री ऐसे व्यक्ति हैं जो चरित्र आधारित हैं। वो टीम में चरित्र वाले खिलाड़ी चाहते हैं और इसी मानसिकता के साथ काम करते हैं। वो इसी सोच को मैदान पर भी ले जाना चाहते हैं। वहीं कुंबले ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने तरीके से महानता हासिल करना चाहते हैं। कुंबले और शास्त्री दोनों अलग हैं और वो कभी एक जैसे नहीं हो सकते।'
मगर उन्होंने संकेत दिए कि कुंबले को अन्य तरीकों से कोहली की टीम का अनुसरण करना चाहिए था। श्रीधर ने कहा, 'आज के क्रिकेट में महत्वपूर्ण है कि लीडर के रूप में आप ग्रुप की उर्जा का अनुसरण करे ताकि आपको परिणाम मिले। आपको ग्रुप की मांग को समझना होगा ताकि प्रत्येक सदस्य के पास सही स्पेस हो।'
यहां थोड़ा सा फर्क इसलिए आ जाता था क्योंकि जब शास्त्री भाषण देते थे तो पूरी टीम जोश से भर जाती थी और कोहली उनके ऑलराउंड बॉस हुआ करते थे। कुंबले और उनके साथ साथी काफी अनुभवी है और हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ देने के लिए तैयार रहते हैं, उनमें काफी विश्वास है। कुंबले इसे हासिल करने में थोड़ा विफल रह गए।
श्रीधर ने कहा, 'मौजूदा भारतीय टीम में काफी अनुभवी खिलाड़ी हैं। इसलिए हमने प्रयोग करके सर्वश्रेष्ठ नतीजे निकालने की ठानी। अच्छे लीडर के साथ अच्छे फॉलोअर की जरुरत भी होती है।' श्रीधर की आखिरी लाइन ने सब दर्शा दिया। उन्होंने कहा कि कोहली को अपने हिसाब से काम करने दीजिए वो सर्वश्रेष्ठ नतीजे निकालकर देंगे। शास्त्री इसलिए कोच के प्रबल दावेदार हैं।
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