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उलझन में रेलवे है राजेश कहें या सोनिया पाण्डेय

गोरखपुर: भारतीय रेलवे के इतिहास में लिंग परिवर्तन से उपजे विवाद का एक अनूठा मामला इन दिनों सुर्खियों में है। एनई रेलवे के इज्जतनगर रेल कारखाना में अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने वाले राजेश पांडेय ने लिंग परिवर्तन कराने के बाद कार्मिक विभाग में आवेदन किया है कि उन्हें अब सोनिया पांडेय के नाम से पुकारा और पहचाना जाए। नौकरी के सभी दस्तावेजों में नाम राजेश के बजाए सोनिया लिखा जाए और लिंग के कॉलम में पुरुष की जगह महिला लिखा जाए। एक पन्ने के इस पत्र ने रेलवे के अफसरों को उलझन में डाल दिया है। वह कभी मामले को रेलवे बोर्ड को रेफर कर रहे हैं तो कभी राजेश के लिंग परीक्षण के लिए मेडिकल टीम गठित करने की बात।

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मूल रूप से बरेली शहर के रहने वाले राजेश ने वर्ष 2003 में पिता के निधन के बाद अनुकंपा के आधार पर इज्जतनगर के रेल कारखाना में 19 मार्च 2003 को नौकरी ज्वाइन की थी। राजेश के हाव-भाव, बात करने के अंदाज से सहकर्मी आश्चर्य में रहते थे, तरह-तरह की चर्च होती थीं। राजेश चार बहनों में इकलौते भाई हैं। उनके दिवंगत बड़े भाई भी रेलवे में थे। जिंदगी के तमाम उतार चढ़ाव के बीच राजेश-सोनिया ने बीते दिनों गोरखपुर मुख्यालय के कार्मिक विभाग में अपने कागजातों में लिंग परिवर्तन को लेकर आवेदन किया है। रेलवे अफसर तय नहीं कर पा रहे हैं कि राजेश पांडेय पुरुष है, महिला या फिर थर्ड जेंडर। अफसरों का एक वर्ग इसमें फर्जीवाड़े का एंगल भी देख रहा है। संदेह है कि लिंग परिवर्तन के नाम पर राजेश की जगह कोई महिला भी प्रस्तुत हो सकती है। बहरहाल, रेलवे प्रशासन ने राजेश उर्फ सोनिया को पत्र भेजकर अवगत कराया है कि जल्द ही एक मेडिकल टीम परीक्षण के लिए भेजी जाएगी। फिंगर प्रिंट का मिलान किया जाएगा। एनई रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह का कहना है कि ये मामला रेलवे बोर्ड को भेजा जा रहा है। राजेश का मेडिकल भी कराया जा रहा है। एनई रेलवे के रिटायर्ड जनसंपर्क अधिकारी शिवप्रसाद मिश्रा का कहना है कि मेरी जानकारी के मुताबिक पूर्वोत्तर रेलवे में इस तरह का पहला मामला आया है।

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सात साल पहले कोर्ट ने दी थी लिंग परिवर्तन को मान्यता
भारत में लिंग परिवर्तन को कानूनी व सामजिक मान्यता साल 2012 में मिली थी। जब मई 2012 में गुवाहाटी के विधान नाम के 21 वर्षीय युवक के मामले में सुनवाई के बाद मुंबई हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया था कि किसी को लिंग परिर्वतन से रोकने के लिए कोई कानून नहीं है। डॉ. अंजू श्रीवास्तव कहती हैं कि जिनिटोप्लास्टी एक विशेष प्रकार की सर्जरी है। इसमें लड़के को कई चरणों में हार्मोनल इंजेक्शन देकर उसमें महिला का हार्मोन विकसित किया जाता है। इस तरह की सर्जरी में एक से दो साल का समय लगता है। इस तरह की सर्जरी बड़ी जटिल होती है। दुनिया में पहले लिंग परिवर्तन की कोशिश जर्मनी में वर्ष 1930 में हुई थी। बहरहाल, लिंग परिवर्तन के मामले अब बढ़ रहे हैं। पिछले दिनों लखनऊ के युवक गौरव के लिंग परिवर्तन का मामला सुर्खियों में आया था। कानपुर के एचबीटीआई में इंजीनियरिंग के एक छात्र ने लिंग परिर्वतन कराकर लड़कियों के हास्टल में कमरे के लिए आवेदन किया था।

‘मेरे जैसे कई और हैं जो लड़की बनना चाहते हैं’

आपको राजेश पुकारें या सोनिया।
मैने अपना लिंग परिवर्तन करा लिया है। मैं महिला हूं। मुझे सोनिया नाम से ही पुकारा जाए।

लिंग परिवर्तन कराने का निर्णय क्यों लेना पड़ा।

मैं चार पांच साल की थी तभी से लड़कियों के कपड़े पहनना मुझे अच्छा लगता था। उम्र बढ़ी तो अंदर से लड़कियों जैसा एहसास होता रहा है। मैं शरीर से भले ही लड़का थी, लेकिन आत्मा लड़कियों वाली ही थी। अंदर से महसूस होता था कि मैं एक स्त्री हूं, गलती से पुरुष हो गई। चार बहनों के बीच मुझे भी महिलाओं की तरह श्रृंगार करना अच्छा लगाता था। ट्रेन या बस में सफर के दौरान परिचय पत्र दिखाने में विवाद हो जाता था। परिचय पत्र में नाम राजेश है लेकिन मेरा हावभाव लड़कियों का है। इसी दिक्कत से बचने के लिए रेलवे में सर्विस बुक में नाम परिवर्तन कराने का आवेदन किया है।

लिंग परिवर्तन के बाद आपसे कई तरह के सवाल पूछे जाते होंगे। कैसे उन सवालों से लड़ती हैं।
समाज का काम कुछ कहना ही है। मैं उन उलझनों को लोगों से साझा नहीं कर सकती जिनसे मैं गुजरी हूं। लिंग परिवर्तन कराना ही लोगों के सवालों का जवाब है।

परिवार के लोगों का कैसा सहयोग है। सहकर्मियों के व्यवहार में कुछ बदलाव दिखता है?
परिवार में मां का पूरा सर्पोट मिला है। वह मेरे निर्णय से खुश हैं। सिर्फ एक बहन मेरे निर्णय के साथ नहीं हैं। वह भी साथ हो जाएगी, यकीन है। कुछ अच्छे दोस्त हैं, जो मेरे निर्णय के साथ खड़े हैं। मेरी हमेशा हौसला आफजाई करते हैं।

आपने शादी भी की थी। जब आपको मालूम था कि आपमें स्त्रियों वाले गुण हैं तो क्या ये धोखा नहीं था?
2012 में घर वालों ने मेरी शादी तय कर दी। मैं शादी नहीं करना चाहती थी। जो मेरे विषय में जानते थे, उन्हें शादी नहीं करने के निर्णय की जानकारी भी दी थी। जिस लड़की से शादी हुई उसे भी बताया था। समाज और घर वालों के दबाव में शादी करनी पड़ी। छह महीने तक वैवाहिक बंधन में रही, लेकिन इस दौरान पत्नी के करीब नहीं गई। ये रिश्ता महज दो साल तक ही चल पाया और फिर तलाक ले लिया। इसके बाद वह लिंग परिवर्तन करवाकर राजेश से सोनिया बन गई। सोनिया बनने के बाद उनके सामने नई पहचान को लोगों के सामने लानी मुसीबत बन गई है।

लिंग परिवर्तन कराने का ख्याल कब आया। कैसे हुआ ये सब।

तलाक लेने के बाद बरेली के कई डाक्टरों से संपर्क किया। उन्होंने दिल्ली जाने की सलाह दी। दिल्ली में सर्जरी करवाकर लिंग परिवर्तन की सलाह दी गई। कुछ दोस्तों ने मेरी खूब मदद की। दिसंबर 2017 में सर्जरी करवाकर वापस बरेली आ गई। लिंग परिवर्तन में बाद अपना नाम सोनिया रख लिया। नई पहचान दर्ज कराने को आवेदन किया है।

लिंग परिवर्तन को दस्तावेजों में मान्यता मिल जाने के बाद की क्या योजना है।
मैं लड़ूंगी और अंत तक लड़ूंगी। मुझे खुशी है कि मैं अकेली नहीं हूं। मेरे जैसी कई हैं, जो ऐसी लड़ाई लड़ रही हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि एक दिन आएगा, जब मुझे कागजातों पर भी मान्यता मिल जाएगी।

भविष्य में जीवन साथी चुनेगीं या अकेली ही जिंदगी गुजारनी है।
अभी तो रेलवे में दस्तावेज ठीक कराना है। जिंदगी पटरी पर आ जाए तो जीवन साथी के विषय में विचार करूंगी। फिलहाल इस मुद्दे पर कुछ नहीं सोचा है।

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