Vishwanath Pratap Singh – विश्वनाथ प्रताप सिंह एक भारतीय राजनेता और भारत के सातवे प्रधानमंत्री थे। उनका कार्यकाल 1989 से 1990 के बीच था। इसके साथ ही वे मंदा साम्राज्य के उत्तरी जागीरदारी के राजा बहादुर थे।
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विश्वनाथ प्रताप सिंह की जीवनी / Vishwanath Pratap Singh Biography In Hindi
सिंह विशेषतः प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए भारत में निचली जाती के लोगो के विकास में किये गये कार्यो और प्रयासों के लिए जाने जाते है। इसके साथ ही सिंह अपनी ईमानदारी के जूनून और देश के लिए सबकुछ न्योछावर करने की इच्छा के लिए भी प्रसिद्ध है।
प्रारंभिक करियर –
सिंह का जन्म राजपूत ज़मीनदार परिवार में 25 जून 1931 को हुआ था, उनका परिवार मंदा की जागीरदारी पर राज करता था। उन्होंने कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, देहरादून से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और फिर अलाहाबाद और पुणे यूनिवर्सिटी से उन्होंने आगे की शिक्षा प्राप्त की थी।
1969 में कांग्रेस पार्टी का सदस्य बने रहते हुए सिंह उत्तर प्रदेश की वैधानिक असेंबली के सदस्य भी बने। इसके बाद 1971 में उनकी नियुक्ती लोक सभा में भी की गयी और फिर 1974 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उन्हें कॉमर्स का डिप्टी मिनिस्टर भी बनाया। 1976 से 1977 तक उन्होंने कॉमर्स का मिनिस्टर बने रहते हुए सेवा की थी।
1980 में जब गाँधी पुनर्नियुक्त की गयी थी तब इंदिरा गाँधी ने उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त किया था। मुख्यमंत्री (1980-82) के पद पर रहते हुए उन्होंने बटमारी की समस्या को सुलझाने के लिए काफी प्रयास किये, उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम इलाको के ग्रामीण भागो में यह समस्या गंभीर रूप से व्याप्त थी। इसके चलते उन्होंने बहुत से लोगो का भरोसा जीत लिया था और अपने इलाको में बहुत सी ख्याति प्राप्त कर ली थी। और कुछ समय बाद उन्होंने अपने पद से रिजाइन भी कर दिया था।
1983 में फिर से उनकी नियुक्ती मिनिस्टर ऑफ़ कॉमर्स के पद पर की गयी थी। इसके बाद 1989 के चुनाव में सिंह की वजह से ही बीजेपी राजीव गाँधी को गद्दी से हटाने में सफल रही थी। 1989 में उनके द्वारा निभाए गए महत्वपूर्ण रोल के लिए वे हमेशा भारतीय राजनीती में याद किये जाते है। कहा जाता है की 1989 के चुनाव देश में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आए थे और इसी चुनाव में उन्होंने प्रधानमंत्री बनकर दलित और छोट वर्ग के लोगो की सहायता की। सिंह एक निडर राजनेता थे, दुसरे प्रधानमंत्रीयो की तरह वे कोई भी निर्णय लेने से पहले डरते नही थे बल्कि वे निडरता से कोई भी निर्णय लेते थे और ऐसा ही उन्होंने लालकृष्ण आडवानी के खिलाफ गिरफ़्तारी का आदेश देकर किया था। प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार का भी विरोध किया था।
निजी जिंदगी –
सिंह ने राजकुमारी सीता कुमारी से शादी की थी, जो देवगढ के राजा की बेटी थी, 25 जून 1955 को उनका विवाह संपन्न हुआ था। उनकी शादी पारिवारिक मिलाप से ही की गयी थी। अपनी शादी के दिन सिंह 24 साल के हुए थे और उनकी पत्नी 18 साल की थी। कुमारी जाती से एक सिसोदिया राजपूत थी। उन दोनों को दो बेटे है, पहला अजय सिंह (जन्म – 1957), जो न्यू यॉर्क में चार्टर्ड अकाउंटेंट है और दूसरा अभी सिंह (जन्म 1958), जो नयी दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस में डॉक्टर है।
मृत्यु –
काफी समय तक बहुत से बीमारियों से घिरने के बाद दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में 27 नवम्बर 2008 को उनकी मृत्यु हुई थी। अलाहाबाद में गंगा नदी के किनारे पर 29 नवम्बर 2008 को उनका अंतिम संस्कार उनके बेटे अजेय सिंह की उपस्थिति में किया गया था।
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